सरकार कइत से बैंक खातन का सी.बी.एस. मतलब छोट खाता से बड़ा खाता दइके सीधे इण्टरनेट से जोड़ैे का काम चलत है। जेहिसे मड़इन का सरकार से मिलैं वाले पेंशन अउर लाभ का रूपिया सीधे बैंक खाता मा भेजी जा सकै। या काम कइके सरकार कालाबाजारी रोकैं चाहत है। सी.बी.एस. खाता नम्बर दें का काम मार्च से चलत है। या काम करैं खातिर केन्द्र सरकार के सराहनीय पहल है, पै बहुतै पेंशन धारकन के पेंशन का रूपिया नहीं आवा आय।
बैंक खाता से रूपिया का भुगतान रूक गा है। यहिका सीधा असर मड़इन के रोजी रोटी अउर जन जीवन के ऊपर परा है। सी.बी.एस. का काम पूरा करैं का समय भी तय निहाय। जेहिसे या कहा जा सकै कि यतने समय के बाद सबै काम पहिले जइसे होय लगिहैं। सरकार तौ अपने अभियान मा सफलता देखा के नाम करैं मा लाग है। उंई लोगन का, का कसूर जउन यहै पेंशन के रूपिया से आपन खाना खर्चा चलावत हैं। अगर सरकार या काम करैं से पहिले होय वाले नतीजा के बारे मा सोच के काम करत तौ नींक रहत। या फेर कउनौ अउर उपाय सोचैं का चाही। सी.बी.एस. खाता न होय से सिर्फ पेंशन धारक ही नहीं जउन भी बैंक खाता नम्बर छोट है उंई सबै मड़ई समस्या के चपेट मा हैं। चाहे उंई मनरेगा मजदूर होय या फेर पेंशन धारक। अगर या मान लीन जाय कि सरकार के या सोच है कि एक किस्त न सही इकट्ठा दुई किस्त दइके मड़इन का खुश कई दीन जई, पै या सोच ठीक निहाय। काहे से एक-एक दिन खर्च चलावब मुश्किल है तौ साल भर खर्च कसत चली? या मारे सरकार जेतना व्यवस्थित काम करत है वहिसे ज्यादा अव्यवस्थित भी है। जेतना जल्दी होई सकै या काम निपटावैं के जरूरत है।
फायदा से ज्यादा नुकसान
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