जिला बांदा। फसल बरबादी की चिंता से बढ़कर अब पशुओं के चारा का संकट सताने लगा है। क्यों कि बची खुची गेहूं की फसल का ही भूसा बचा है। पशु विभाग के मुताबिक शासनादेश है कि मवेशी और प्र्याप्त चारे की सर्वे रिपोर्ट बनाकर पशु पालकों को मफ्त में भूसा मुहैया कराया जायेगा।
ब्लाक बबेरू गांव रयान के किसान गोपाल बताते हैं कि मेरे पास दो बैल एक भैंस है। हर साल सात बीघे खेती में आठ से दस कुन्तल भूशा गेहू, चना, मसूर, अरहर, लाही का हो जाता था लेकिन इस साल बचे खुची गेहू की फसल का दो कुन्तल भूसा छोड़कर सारी फसलों का भूसा सड़ गया। सारा पैसा खेती किसानी में ही लगा चुका हूं। जानवरों को छह से आठ कुन्तल भूसे की जरूरत कैसे पूरी करुंगा।
तिंदवारी ब्लाक गांव चकला के लल्लू का कहना है कि उसके पास चार भैंसे हैं। इन्ही भैंसों के दूध से मेरे घर का खर्च चलता है। हर साल थोक में सत्तर कुन्तल भूसा खरीदता था लेकिन इस साल भैसों का भूसा कहां से खरीदूगां जब खेत में ही फसल सड़ गयी। ऊपर से कतरते समय आई आंधी भूसा को उड़ा ले गई। मेरे पास एक भी खेती नहीं है। भैसों को बेचने की सोचता हूं तो भुखमरी आ आयेगी।
पशु पालन विभाग के मुताबिक जिले में छह लाख तेइस हजार पशुओं के लिए साल भर में लगभग तीन लाख मीट्रिक टन भूसा की जरूरत होती है। हर साल चार लाख मीट्रिक टन भूसा हो जाता था। इस साल एक लाख तीस हजार मीट्रिक टन ही भूसा बचा है तो दो लाख मीट्रिक टन भूसा की और जरूरत होगी।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी चन्द्रदत्त शर्मा का कहना-“पशु पालन विभाग पशु पालकन का मुफ्त में भूसा देगा। इसके लिए शासनादेश है कि पशु पालन विभाग सर्वे करे। सर्वे में पशुओं की संख्या और जरूरत के हिसाब से भूसा की सर्वे रिपोर्ट तैयार की जायेगी। वैसे फसल कटने के बाद मेड़ो और खेतों का चारा पशु चर ही रहे है। बरसात होने में और चारा की व्यवस्था हो जायेगी।”
फसल बरबादी के बाद चारे का संकट
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