जिला बांदा, ब्लाक महुआ, गांव महुआ। हेंया के मड़इन का कहब है कि अन्ना जानवरन के कारन फसल का बहुतै नुकसान होत है। अगर अन्ना जानवरन के बेडै़ खातिर कउनौ व्यवस्था होय तौ कुछ राहत मिल सकत है।
गांव का चुन्नूलाल, भइया अउर शंकर कहत हैं कि या समय खेतन मा धान के फसल तैयार ठाड़ है, पै किसानन का तौ अन्ना जानवरन के कारन रात के नींद अउर दिन का खाना पानी हराम है। किसान देविया बतावत है कि धान के एक बिगहा खेत मा बेड़ लगवाये रहौं। पांच सौ रूपिया धण्टा के हिसाब से एक बिगहा खेत के जोताई दुई हजार रूपिया लागत है। यतना रूपिया लागै के बाद रात दिन जानवरन जइसे मेहनत करत हन। गल्ला आवै के समय रोवै का परत है। हम लोग रात भर हार मा रही के जानवर हांकत हन। यहिसे लागत है कि अन्ना जानवरन खातिर कउनौ व्यवस्था होई जाय तौ नींक है। नहीं इनतान मा गरीबन जनता कसत आपन पेट भरी अउर कहां तक झांखर अउर कांटा वाली तार लगा के व्यवस्था करी। प्रधान सुख सागर दीक्षित का कहब है कि दुई साल से मैं जानवरन के बेड़ै खातिर फाटक के मांग करत हौं, पै फाटक का काम मोरे कार्यकाल मा निहाय। अगर कउनौ के जानवर होय का पता चला तौ बंधवा देत है।
फसल चउपट करैं अन्ना जानवर
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