बेमौसम बारिस अउर तेज हवा कै झोंका किसानन कै सारी फसल बर्वाद कै दिहिस। जेसे आये दिन किसान आत्महत्या करत अहैं। वहीं दुसरी तरफ किसान के मुआवजा के ताई जगह-जगह धरना प्रदर्षन हुअत बाय। लकिन वकरे बदले किसानन का दस बारह सौ रूपया मुआवजा दीन जात बाय।
फैजाबाद मा एैसन कउनौ किसान नाय हइन जेकै फसल नाय खराब भै बाय। हर किसान अबकी फसल के बर्वादी से परेषान बाटे। लकिन कइयौ जगह अबहीं तक सर्वे भी नाय भै। जेसे जगह-जगह किसान आत्महत्या करत हइन। गरीब किसान करैं तौ काव करैं? एक दुई बिगहा खेती जियै कै सहारा रहीं। वहू मा कुछ नाय भै तौ कैसे परिवार कै पेट पाल जाये। बेमौसम बरसात के डर से किसान गेहूं कटाई कइके मड़ाई करत अहैं। काहे से जवन जानवरन के ताई भूसा लायक बचा बाय उहौ न बचे।
लकिन उनका एक डर अउर बना बाय कि लेखपाल द्वारा गंाव-गंाव जायके फसल कै सर्वे हुवत बाय। तौ उनके फसल कै सर्वे कइसे होये जवन किसान गेहूं दायं के रख लिहिन? षासन-प्रषासन उनका कउने हिसाब से मुआवजा दे। किसानन के अनुसार सर्वे अब तक पूरा होय जाए का रहा। जेसे हर खेत मा खड़ी फसल कै सर्वे होय सकत। अउर पता चल सकत कि केकै केतना फसल बर्वाद भै बाय।
अगर षासन-प्रषासन से उनका हजार दुई हजार मुआवजा भी मिलाथै तौ वतने मा काव होये? वकै दुई गुना तौ फसल के सिंचाई मा लाग गै होये। बाकी कै खर्च तौ अलग होये। यतने मा किसानन के फसल के बर्वादी कै भरपाई कैसे होये? यही बात किसानन के चिंता कै बिषय बना बाय।
फसल कै बर्वादी लियत किसानन कै जान
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