“सिर्फ इसलिए कि हम आज आज़ाद हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपनी आजादी का दुरुपयोग करें, आज 14 फरवरी का दिन महाशिवरात्रि का दिन है इसलिए इसे पूजा–पाठ में बिताना चाहिए, न कि इस तथाकथित वैलेंटाइन दिवस मनाने में।”
बुंदेलखंड के चित्रकूट जिले के स्थानीय भाजपा विधायक शक्ति प्रताप सिंह तोमर 14 फरवरी को सूराज बरजात्या की फिल्मों में ही देखना पसंद करते हैं, और उनकी मार्केटिंग टीम को आज अपने ऊपर गर्व होता होगा कि उन्होंने इसे लोकप्रिय बना दिया।
वे कहते हैं, “एक भाई और बहन के बीच प्रेम, अपने माता–पिता के लिए प्रेम हम मना सकते हैं लेकिन जो जश्न हम मना रहे हैं वो हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं हैं।
संस्कृति और उचित– यहाँ हम इसकी फिर से बात करते हैं। कौन है जिन्हें प्यार की अभिव्यक्ति में दखल देने के लिए कहा गया है, कौन है जो इसकी देखभाल करेगा? ऐसा लगता है कि वैलेंटाइन आते ही सबको बोलने का मौका मिल जाता है, हर कोई विकल्प देने के लिए बहस में कूद पड़ता है।
चित्रकूट में गायत्री परिवार संगठन के श्रवण कुमार, तोमर जी के विचारों से सहमत होते हुए कहते हैं, “हर दिन हम अपनी मां को गुलाब का उपहार दे सकते हैं, यह हमारा वेलेंटाइन डे हो सकता है, है ना? लेकिन नहीं, युवा पीढ़ी सिर्फ बात करना चाहती है गर्लफ्रेंड्स और प्रेमी के बारे में। जहाँ तक मैं इसे समझता हूं, यह सही नहीं है।” हम्म्म हाँ, सही और गलत जैसे वाक्यांश सामाजिक अधिकार और पसंद पर निर्भर करता है!
उत्तर प्रदेश में यह योगी युग का पहला वेलेंटाइन दिवस है और शायद यही से हमें शुरुआत करनी चाहिए। वर्ष 2017 के राज्य के लोकसभा चुनावों में भारी जीत के बाद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जो एक प्रसिद्ध हिंदुत्व कट्टरपंथी भी थे ने पिछले साल प्रेम के इस पर्व के दौरान ही शपथ ली थी जिसके बाद बुंदेलखंड में प्यार कावीरोध इस साल मजबूती से होने लगा है। ‘मात्र– पितृ दिवस ‘ की तस्वीरे सभी जिलों के सभी स्थानीय लोगों में व्हाट्सएप के समूहों द्वारा प्रचारित की जा रही हैं, जो 14 फरवरी के दिन मनाया जाने वाला था। ऐसा लगता है कि आखिर क्यों, श्रावण कुमार ने गुलाब का उल्लेख क्यों किया, अंततः यह युगचेतना के लिए मुश्किल खड़ी करने जैसा है।
योगी, हिंदु युवा वाहिनी संगठन की बांदा शाखा की प्रमुख सीमा गिरी, प्रेम के दिन का विरोध करते हुए, इसे जोर देकर महिलाओं के मुद्दे से जोड़ते हुए कहती हैं, “यह लड़कियों को पागल बनाने का एक तरीका मात्र है, इसके जरिए लड़के लड़कियों का फायदा उठाते हैं।”
वह बड़े ही घृणास्पद चेहरे के साथ कहती हैं कि बस, चार दिन की चांदनी है और फिर अँधेरी रात है“। बांदा में रहने वाली गृहिणी, गीतांजलि, हमें बताती है कि बच्चों को प्यार के दिनों के दौरान ऐसे कदम नहीं उठाने चाहिये जो उनके माता–पिता की इज्जत को खराब करे, “यह सब रोज़ डे, टेडी डे क्या है? यह सही नहीं है।” सीमा अपने बीसवें साल में हैं और वह इस पर्व से सहमत नहीं हैं। वह कहती हैं, “इन सब में अपना समय और ऊर्जा बर्बाद करने के बजाय पढ़ाई करना बेहतर है।” वहीं, तोमर जी इज्ज़त का झंडा उठाये रखते हुए नियमों की बात करते हैं और कहते हैं कि मर्यादा, में रहना चाहिये, किसी को हक़ नहीं कि वह मर्यादा तोड़े।”
उनका इस बारे में सीधे कहना है कि बच्चों को उनके माता–पिता से सही शिक्षा नहीं मिली या वह उन्हें उचित शिक्षा नहीं दे पाए हैं।”
राजेश्वरी, बांदा के ग्रामीण और अर्ध–शहरी इलाकों के बीच भेद–भाव करते हुए कहती हैं, “देहात में अगर कोई लड़का एक लड़के के साथ घूमता मिलता है, तो यह उसके परिवार के लिए बेज्ज़ती का सवाल पैदा करता है।” यहाँ अपनी इज्ज़त बचाने के लिए सबसे पहले लड़की की पढ़ाई को बंद करवाता है जो हमारे समाज के लिए सबसे आसान तरीका है किसी भी परिवार को बेज्ज़ती से बचाने के लिए।
सभी परिदृश्यों से अलग और तमाम संस्कारी बातों से अलग तोमर जी दिल की बात को मानते हुए अंत में कहते हैं “वेलेंटाइन डे पर, युवा लड़के युवा लड़कियों को आकर्षित करते हैं। लेकिन यह ‘दृष्टिकोण‘ यह प्रेम जीवनकाल तक रहना चाहिये,…. यह रहेगा, इसकी गारंटी कौन लेगा? “