स्कूल खुलै का समय आवा नहीं कि आय जाति प्रमाण पत्र बनै का काम जोर से शुरू है, पै सच्चाई तौ है कि इं प्रमाण पत्र बनवावब लोहे के चना चबाय के बराबर है। काहे से तहसील मा भीड़ के बाढ़ देखतै बनत है। रोज का हजारन मड़ई परेशान होइके लउट जात है अउर अगले दिन फेर से आवत है। इनतान से एक प्रमाण पत्र बनवावैं मा महीनन समय लाग जात है। रोज का किराया भाड़ा का रूपिया, समय अउर मेहनत बरबाद तौ जात ही है, ऊपर से मजदूरी अउर किसानी का काम भी रूक गा है। तहसील के अधिकारी दुई खिड़की के व्यवस्था करैं के बात कहिके आपन जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ दिहिन।
हर साल या समय प्रमाण पत्र बनावैं का काम या समय यतनी ही तेजी से होत है। इनतान काहे होत है? बांदा जिला मा चार सौ सैंतिस गांवन के बीच सिर्फ चार तहसील है। कइयौ दरकी मड़ई अउर तहसील बनैं के मांग करिन, धरना प्रदर्शन करिन, पै प्रशासन का कउनौ फरक काहे नहीं परा? सच्चाई तौ या है कि जनता चाहे जउनतान परेशान होय उनका कउनौ फरक नहीं परत। काहे से तहसील स्तर के सबसे बड़े अधिकारी एस.डी.एम. कार्यालय के बगल से ही या भीड़ रोज लागत है। अधिकारी आवत जात का देखत न होइहैं, पै करैं का है, जनता के जरूरत है,
प्रमाण पत्र बनवावब मानौ लोहे के चना चबाब
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