जिला झाँसी, कस्बा बरुवासागर|बरसात के मौसम में मिटटी पानी से गीली हो जाती है जिसकी महक सबकों अच्छी लगती है ऐसे में इस मिटटी में कोई भी पेड़ लगा सकतें हैं|किन्तु आज के बदलते जमाने में मिटटी के चबूतरे खत्म हो गये है|लोगों ने कीचड़ और धूल के डर से सब जगह सीमेंट पोत दिया हैं|इस कारण लोग अब गमले में पौधे लगाते है|आपकों भी पौधा लगाना है तो चलें बरुआसागर की कृष्णा नर्सरी में|
नर्सरी में काम करने वाले राजकुमार का कहना है कि हमारी नर्सरी में नीबू,कटहल,अमरुद और आंवला के पौधे है और फूलों में कन्नेर और गुलाब के पौधे है|हम इन पौधों के बीज तैयार करते हैं|नर्सरी में काम करने वाली जमुना देवी ने बताया कि मिटटी खोदकर पहले बीज बोते हैं फिर पांच दिन पानी देते हैं| पौधा बेचनें वाले रामकृष्णा का कहना है कि फुटकर में एक पौधा दस रूपये में बेंचते है थोक में एक पौधा पांच रूपये में पड़ता है|पौधा खरीदने वाले चरण सिंह का कहना है कि मैंने यहां से चालिस पौधे खरीदें है|जिसमें आम अमरुद कटहल आंवला और पपीता के पौधे हैं|
बाईलाइन-सोनी
28/08/2017 को प्रकाशित