भारतीय राजनीतिक दलों को कैसे चन्दा दिया जाना चाहिए ये सवाल सीधा काले धन और भ्रष्टाचार से जुड़ा है। ये लगभग सभी जानते हैं कि कंपनियां बड़े औद्योगिक प्रोजेक्ट शुरू करती हैं। इनके लिए बड़े पैमाने पर ऋण लेती हैं। और इस पैसे का एक भाग राजनीतिक दलों को चन्दा देने में जाता है। ये कंपनियों द्वारा अक्सर किया जाता है कि वे विदेशी सामग्री को बड़ी हुयी दर में खरीदा दिखा के विदेशी बैंकों में पैसा जमा करती हैं। ताकि टैक्स से बच पाएं। ये पैसा अलग अलग समय पर राजनीतिक दलों को चन्दा देने के लिए भारत आता है . आज के समय में बड़ी बड़ी कंपनियों के ७.५ लाख करोड़ रूपये सार्वजनिक बैंकों में बकाया हैं . फिर भी कोई सरकार उनपर सख्ती नहीं कर सकती . क्योंकि वे राजनीतिक दलों को पैसे देते है . तो इसका इलाज क्या है? इसे ख़त्म करने के लिए राजनीतिक दलों को मिले चंदे को पूरी तरह पारदर्शक बन देना चाहिए . मगर ऐसा कैसे किया जाये?