आमिर हुसैन महज़ आठ साल के थे जब एक हादसे में उनके दोनों हाथ चले गए लेकिन उनका हौसला नहीं टूटा। उनके अंदर सचिन तेंदुलकर को लेकर दीवानगी थी और उससे पैदा हुआ था क्रिकेट का जुनून। इससे शुरु हुई आमिर की क्रिकेट सीखने की धुन।
आमिर कहते हैं, “हादसे के बाद मेरी दादी गेंद फेंकती थीं, मैं पैरों से गेंद पकड़ता था। कई दिनों तक ऐसा ही चलता रहा, मैं बाद में गांव के लड़कों के साथ क्रिकेट खेलने लगा.” आमिर ने अपने गांव से निकल कर डिग्री कॉलेज बिजबेहड़ा में पहला मैच खैला, जहां वे 30 रन बनाने में कामयाब रहे।
आमिर ने साल 2013 में पहली बार कश्मीर से बाहर लखनऊ में मैच खैला, उसके बाद उन्हें दिल्ली में खेलने का मौक़ा मिला।
आमिर सिर्फ बल्लेबाज़ी ही नहीं, गेंदबाज़ी भी कर लेते हैं। वे पैरों से ही गेंद फेंकते हैं।
वे सचिन के अलावा विराट कोहिली को भी बहुत पसंद करते हैं।
उन्होंने कहा “एक दिन दोस्त ने मुझे फ़ोन कर बताया कि विराट ने आप के लिए ट्वीट किया है, वे आपसे मिलना चाहते हैं।” आमिर फ़िलहाल जम्मू-कश्मीर पारा क्रिकेट टीम के कप्तान हैं।
जम्मू कश्मीर पारा क्रिकेट टीम राज्य के जिस्मानी तौर से विकलांग या कमज़ोर खिलाड़ियों की टीम है।