वृद्वा पेंशन होय चाहे विकलांग या विधवा पेंशन। इं सबै पेंशन का लइके मड़ई परेशान रहत हवैं। पेंशन के इंतजार मा उनके उम्र तक बीत जात हवै तौ कउनौ आपन जिन्दगी से मुंह मोड़ लेत हवै, पै पेंशन मिलै का नाम तक नहीं आवत हवै। अगर प्रधान या फेर समाज कल्याण विभाग मा कहा जात हवै तौ उंई या कहि देत हवैं कि उनका नाम बी.पी.एल. सूची मा नहीं आय। या फेर उंई पेंशन के पात्र नहीं आय। आखिर गरीब अउर बेसहारा मड़ई कहां जाये। अगर सरकार गरीबन का सुविधा दीने हवै तौ प्रधान अउर सचिव का या समस्या खतम करैं के कोशिश करैं का चाही। जबै तक कोशिश न कीन जई। तबै तक यहै समस्या बनी रहि। सरकार का भी या बात के जवाब देही प्रधान अउर सचिव से लें के जरूरत हवै। नहीं तौ सरकार काहे पेंशन के सुविधा गरीब मड़इन का दीने हवै। सरकार का आपन बनाई गे या योजना का पलट के देखैं के जरूरत हवै। नहीं गरीब अउर बेसहारा मड़ई यहिनतान परेशान हेाइहैं। सरकार के या बात के जवाबदेही दें का इंतजार चित्रकूट, बांदा, महोबा, बनारस अउर लखनऊ जिला के जनता का हवै।
पेंशन के आसरा मा बीत जात उम्र
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