छह महीने तक चली जद्दोजहद के बाद आखिरकार दलित दूल्हे की घोड़े पर चढ़कर शादी के मंडप तक पहुंचने की मुराद पूरी हुई। 15 जुलाई को कासगंज के प्रचलित दलित-ठाकुर विवाद के निपटारे के बाद धूमधाम से विवाह संपन्न हुआ।
दरअसल, दलित दूल्हा चाहता था कि वह घोड़े पर बैठकर ही विवाह मंडप तक जाएगा, लेकिन गांव के ठाकुरों को यह मंजूर नहीं था। छह महीने तक चले विवाद और जद्दोजहद के बाद आखिरकार रास्ता निकला और गलत परंपरा को दरकिनार किया गया।
इस तरह कासगंज जिले के निजामपुर गांव में पहली बार एक दलित दूल्हे की बारात की बाकायदा गांव की गलियों में रस्म हुई।
बता दें, जनवरी माह में गांव निजामपुर की शीतल की शादी सिकंदराराऊ के गांव बसई के रहने वाले अनुसूचित जाति के युवक संजय जाटव (27) के साथ तय हुई थी।
इस शादी को लेकर गांव में भारी विवाद और तनाव के हालात पैदा हो गए। वजह यह थी कि संजय चाहते थे कि वह घोड़ी पर बैठकर पूरे गांव में बारात घुमाए। वहीं, ठाकुर समाज के लोग इस बात का विरोध कर रहे थे।