राजस्थान के अलवर में गाय ले जाने पर कथित रूप से गोरक्षकों द्वारा मारे गए उमर मोहम्मद को लेकर पुलिस ने कहा था कि उसे पीड़ितों के शरीर पर गोली के कोई निशान नहीं मिले। इन दावों पर अब परिजनों ने सवाल खड़े कर दिए हैं।
सूत्रों के अनुसार, उमर के परिवार और उसके साथ मौजूद ताहिर ने बताया है कि हमलवारों ने उन पर गोलियां चलाई थीं। ताहिर ने बताया कि उसे गोली मारी गई थी। उसने दावा किया कि उसने वह गोली अपने पास रखी है जो डॉक्टरों ने उसके बाएं बाज़ू से निकाली।
घटना के बारे में बताते हुए ताहिर ने कहा, ‘हम गाय ख़रीदने के लिए गुरुवार दोपहर को ही अपने घरों से निकल गए थे। उमर और मैंने दौसा से पांच गायें ख़रीदीं, और फिर जावेद के साथ हम उसी दिन रात को घर के लिए चल दिए। 10 नवम्बर शुरू होते तक हम गोविंदगढ़ गांव से गुज़र रहे थे। गांव ख़त्म होने को था कि तभी एक घर के पीछे छिपे छह–सात लोगों ने हम पर गोलियां चलाना शुरू कर दीं।’ ताहिर के साथ रहे जावेद ने बताया, ‘ताहिर घबराकर ज़ोर से चिल्लाया। मैंने (गाड़ी का) दरवाज़ा खोला और झाड़ियों में भाग गया।’ ताहिर ने बताया कि हमलावरों से बचने के लिए भागते समय एक गोली उसके बाएं बाज़ू पर लगी। उसने गोली का निशान भी दिखाया। ताहिर के बताया कि एक हमलावर ने अपने साथी से कहा था, ‘राकेश, यह (उमर) तो मर गया है, यह (ताहिर) भी मर जाएगा।’
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ताहिर और जावेद की बातें पुलिस के दावों के विपरीत हैं। इस हमले के तीन दिन बाद भी वे अपने घर नहीं लौटे हैं।
अलवर के पुलिस अधीक्षक राहुल प्रकाश का कहना है कि उमर और ताहिर दोनों के ख़िलाफ़ मामले चल रहे थे। उन्होंने कहा, ‘अभी तक हमें ताहिर के ख़िलाफ़ पांच–छह केस मिले हैं जिनमें अपहरण का मामला भी है। वह कुछ समय से फ़रार भी था। उमर भी 2012 से फ़रार चल रहा था।’ उमर के शव को जयपुर भेजा गया है। उसका पोस्टमॉर्टम होना अभी बाक़ी है।