बुन्देलखण्ड मा ऐतिहासिक इमारतन के हालत सुधरावैं खातिर सरकार का कउनौं चिंता नहीं रहत आय। अइसे भी पुरान ऐतिहासिक इमारत बहुतैं कम होत जा रही हवैं।
चित्रकूट के कस्बा राजापुर मा महान कवि तुलसीदास का स्मारक बना हवै। वहिके हालत जर्जर हवै। तुलसी स्मारक मा मड़ई दूर-दूर से घूमै खातिर आवत हवैं जबै मड़ई आवत हवैं उनका समस्या आवत हवै तौ उनका मन बेगर जात हवै। अब या तौ सोचैं वाली बात सउहें आवत हवैं कि का येत्ती नींक अउर महान कवि तुलसीदास के स्मारक के मरम्मत करवावैं के कउनौ सरकार का चिंता नहीं आय।
का जबै पुरान स्मारक के इमारत टूट जई तबै नये सिरा से इमारत का बनवावा जई, पै मा बात भी हवै कि महिले जहसे कि इमारत कउन बनई वा तौ बहुतैं पुरान इमारत का नक्शा बना हवै। या समय या वइसे इमारत बनावै वाले मिस्त्री नहीं आय। यहिसे वा पुरान इमारत के मरम्मत करब ज़रूरी बनत हवै। आखिर सरकार का ऐतिहासिक इमारतन के मरम्मत करैं का ध्यान दे के जरूरत हवै। या हमार पुरान धरोहर हवै। अगर सरकार या बात का ध्यान देइ।