जिला चित्रकूट, ब्लाक पहाड़ी, मुहल्ला आजाद। हिंया के रजनी, सत्यम अउर उर्मिला समेत दस लोगन का पीला राशन कार्ड तक नहीं बना। जबै कि इं मड़़ई छोट से चूड़ी के दुकान से आपन घर चलावत हवैं। उनकर कउनौ सुनै वाला नहीं आय। प्रधान बद्री प्रसाद से कहा हवै, पै इं गरीबन का कउनौ ध्यान नहीं दीन जात आय।
रजनी, सत्यम का कहब हवै कि शादी के दस बरस होइगे हवैं । पांच बरस से परिवार से अलग रहित हन। हमार पीला राशन कार्ड तक नहीं आय कि मिट्टी का तेल लइके जला सकैं। एक लीटर मिट्टी का तेल खरीद के जलावैं का परत हवै। गरीब मड़ई होय या फेर रुपिया वाला मड़ई पीला राशन कार्ड तौ बनत हवै। हमरे एकौ बिसुवा जमीन नहीं आय। लकड़ी के डिब्बा मा बिसात खाना का धन्धा करित हन। जेहिके घर अउर दुकान के लगे धरे हवैं। वहिका सात सौ रुपिया का महीना दें का परत हवै। रोज का सौ रूपिया बच गा तौ बहुतै बड़ी बात हवै। इनतान के गरीबी मा कउनौ ध्यान नहीं दीन जात आय। प्रधान बद्री प्रसाद का कहब हवै कि राशन कार्ड के फार्म तौ भरे गेें हवैं। सरकार राशन कार्ड के फार्म के जिम्मेदारी कोटेदार का दिहिस हवै। उनका फार्म भरा गा होइ तौ पीला वाला राशन कार्ड जरूर बनी।
पीला राशन कार्ड बनब जरूरी
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