बेंगलूर में प्रसिद्ध पत्रिका की संपादक गौरी लंकेश की हत्या 5 सितंबर, 2017 के बाद, साल 2014-15 में देश के विभिन्न हिस्सों में पत्रकारों पर हमलों की 142 घटनाएं सामने आईं।
2014 में पत्रकारों पर हमलों की 114 घटनाएं सामने आईं, जिनमें 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 2015 में 28 ऐसी घटनाएं घटीं जिनमें 41 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
बिहार में सीवान के पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के मामले में और इसी तरह के अन्य मामलों से जुड़े प्रश्नों के उत्तर में सरकार ने कहा कि इस मामले में सीबीआई जांच चल रही है।
26 जुलाई, 2017 को गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहिर ने राज्य सभा में एनसीआरबी के आंकड़ों में मौजूद 142 हमलों के लिए 73 लोगों को गिरफ्तार किया था।
भारतीय दंड संहिता की धारा 325, 326, 326 ए और 326 बी के तहत मामले “गंभीर चोट” के लिए पंजीकृत किए गए थे। 142 मामलों में से, 2014 में 114 और 2015 में 28 दर्ज किए गए थे।
उत्तर प्रदेश (यूपी) ने दो साल में सबसे अधिक मामलों(64) दर्ज किए लेकिन केवल चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश(26) और बिहार(22) देश भर में पंजीकृत सभी मामलों के 79% मामलों के लिए तीन राज्यों का हिसाब है। मध्यप्रदेश में सर्वाधिक गिरफ्तारी(42) 2014 में 10 और 2015 में 32 की सूचना दी गई।
वहीं सदन में कई सदस्यों ने पत्रकारों पर हमले के मुद्दे को उठाते हुए सरकार से इस संबंध में अलग कानून बनाने की जरूरत पर जोर दिया। गृह राज्यमंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने प्रश्नकाल में कहा कि पत्रकार या किसी विशेष व्यवसाय के लोगों की सुरक्षा के लिए अलग कानून बनाने का उसका कोई विचार नहीं है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों समेत सभी नागरिकों की सुरक्षा के लिए देश में मौजूदा विद्यमान कानून पर्याप्त हैं। पत्रकारों के मामले में भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के माध्यम से शिकायतों पर संज्ञान लिया जाता है।
पिछले दो सालों में 142 पत्रकारों पर हुए हमले
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