कैलासवती ने बताया कि पानी न होने के कारण बच्चों को स्कूल जाने में देर हो जाती हैं, जिससे पढ़ाई का नुकसान होता है। दो किलोमीटर दूर बड़े तालाब से पानी लाना पड़ता है। एक दिन में बारह तेरह डिब्बा पानी लाना पड़ता है। पानी के कारण घर में शौचालय होते हुए भी बाहर जाना पड़ता है।
ये है छतरपुर जिला के नारायण बाग़ पहाड़िया मोहल्ला का हाल, जहां पानी के लिये मचा है हाहाकार। वार्ड नम्बर पन्द्रह में लगे तीन हैण्डपम्प कई महीनों से बिगड़े पड़े है। पार्षद का बयान है कि लोग अपनी करनी की सजा भुगत रहे हैं। चलने-फिरने और देखने में असमर्थ महिलायें गाड़ी का किराया देकर पानी लाती हैं।
कृष्ण कांत राजपूत का कहना है कि एक किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है। पानी लाने से पढ़ाई का नुकसान होता है और देर हो जाती है। कभी-कभी तो लड़ाई हो जाती है।
शोभा ने बताया कि यहां तीन चार हैण्डपम्प तो लगे है, किन्तु किसी से पानी नहीं निकलता हैं। बहुत दूर से पानी लाना पड़ता है। चढ़ाई में चढ़ने से सांस फूलने लगती है।
मसरून निशा का कहना है कि दिखाई नहीं पड़ता तो मुहल्ले वालों की सहायता से साइकिल से पानी भरवातें हैं।
बिटटू ने बताया कि मै चल नही पाती हूं तो पचास-साठ रूपये भाड़ा देकर पानी भरवाती हूं। जैनुल खान का कहना है कि साठ साल की उम्र में परेशानी उठानी पड़ती हैं। वोट मांगने आ जाते हैं किंतु कुछ सुनवाई नहीं करते हैं।
पार्षद अफजल खान ने बताया कि मुहल्ले के कुछ लोगों की कमी के कारण हैण्डपम्प ठीक नहीं किये जा रहें है।यह उनके लिये सजा हैं।
जिलाध्यक्ष अर्चना सिंह का कहना है कि वैसे तो तुरंत काम किया जाता है पता लगाकर जल्दी ही इस समस्या को खत्म किया जायेगा।
रिपोर्टर- आलिमा