मुम्बई, महाराष्ट्र। 15 दिसंबर को महाराष्ट्र राज्य के एक कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में पानी के अधिकार को जीने के अधिकार के बराबर बताया है।
1996 में नगर विकास विभाग ने मुम्बई के नगर पालिका को आदेश दिया कि गैरकानूनी मोहल्लों और झुग्गी झोपडि़यों में रह रहे लोगों को सरकार पानी नहीं देगी। 2011 में इस आदेश के खिलाफ ‘पानी हक समिति’ नाम की संस्था ने कोर्ट में अजऱ्ी डाली थी। तीन साल बाद 2014 में कोर्ट ने फैसले में कहा कि भले ही लोग गैरकानूनी तरह से झुग्गी झोपडि़यों में रह रहे हैं, उन्हें पानी देना सरकार की जि़म्मेदारी है।
कोर्ट ने फैसले में कहा कि सरकार ऐसे भी लोगों को सस्ते घर नहीं देती है। सप्लाई का पानी जीने की ज़रूरत है और यह सरकार को ही देना होगा। इसके लिए प्रस्ताव तैयार करने के लिए कोर्ट ने सरकार को फरवरी 2015 तक का समय दिया है। पानी के हक की लड़ाई में यह एक अहम फैसला माना जा रहा है।
पानी का हक जीने के हक के बराबर
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