भारत में स्वास्थ्य संकट कम होने के स्थान पर और बढ़ा है। पिछले पांच साल यानी 2016 तक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन फण्ड में बिना व्यय का 29 प्रतिशत बढ़ा है। नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक के अनुसार यह अनियमिता धन के देरी से पहुंचने से लेकर गलत आवांटन तक है।
2005 में देश के स्वास्थ्य व्यवस्था को सही करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को लाया गया था। जिसमें मातृ- शिशु स्वास्थ्य और नियंत्रण संक्रमण और गैर- संक्रमण बीमारियां को शामिल किया गया था। इसके बावजूद देश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का फण्ड सही से प्रयोग नहीं हो रहा है। विश्व में 17 प्रतिशत मातृ मृत्यु, 61 प्रतिशत गैर- संक्रमण से मृत्यु देश में 2016 में हुई हैं।
वहीं देश में फण्ड की कमी के कारण ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा में कमी देखी गई। जनवरी 2018 तक 20 प्रतिशत उपस्वास्थ्य केन्द्र में कर्मचारियों की कमी हैं, 29 प्रतिशत में पानी की सुविधा नहीं है, जबकि 26 प्रतिशत बिजली की कमी और 11 प्रतिशत स्वास्थ्य केन्द्र का रास्ता हर मौसम में जाने लायक नहीं है। आपको बता दें कि देश के 18 राज्यों ने स्वास्थ्य फण्ड का 32 प्रतिशत ही खर्च किया है, जबकि ये फण्ड पहले से ही 36 प्रतिशत उन्हें कम मिला था। 2011 से 2016 तक लगातार इस फण्ड पर आवांटित पैसे को कम खर्च किया गया।