प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4 जून से 9 जून तक 5 देशों की यात्रा पर रहे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अफगानिस्तान, कतर, स्विट्जरलैंड, अमेरिका और मैक्सिको का दौरा किया। पीएम मोदी की यात्रा की शुरुआत अफगानिस्तान से हुई, जहां पीएम मोदी ने सलमा बांध का उद्घाटन किया, साथ ही राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ मौजूदा हालात सहित कई मुद्दों पर बातचीत भी की।
उसी दिन देर शाम तक पीएम मोदी कतर पहुंचे और वहां अमीर शेख तामिम बिन हमाद अल थानी के साथ ऊर्जा क्षेत्र के लिए नए समझौतों पर बातचीत की। 5 और 6 जून को स्विट्जरलैंड में प्रधानमंत्री मोदी ने वहां के राष्ट्रपति जोहान स्निडर अम्मानन समेत, स्विस नेताओं के साथ वार्ता की और काले धन की चर्चा भी की। इसके अलावा सूचना के ऑटोमैटिक आदान-प्रदान और न्यूक्लियर सप्लाई ग्रुप की सदस्यता के लिए समर्थन देने पर बात की गयी।
6 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाशिंगटन पहुंचे। जहां पीएम ने विशेषज्ञों से मुलाकात की। पीएम वाशिंगटन में एक सांस्कृतिक समारोह में शामिल हुए और इस समारोह में भारत की कीमती धरोहरें वापस की गईं। इसके बाद पीएम मोदी ने कोलम्बिया शटल हादसे में जान गंवाने वाली अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला को श्रद्धांजलि दी।
7 जून को प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मिले। जहां व्यापार, सुरक्षा, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और स्वच्छ उर्जा पर सहयोग जैसे विषय दोनों ही नेताओं की बातचीत का अहम हिस्सा रहे, साथ ही उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को भी संबोधित किया।
9 जून को मैक्सिको के राष्ट्रपति एनरिक पेना नीतो के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत की हालांकि अपनी इस यात्रा के दौरान भी प्रधानमंत्री मोदी ने विदेश जा कर विपक्ष की आलोचना की।
6 जून को कतर की राजधानी दोहा में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए मोदी ने विपक्षी पार्टी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “मुझे दिक्कतें आई हैं क्योंकि मैंने लोगों की मिठाइयां बंद करवा दी हैं और सरकारी योजना और परियोजनाओं में धांधलियां रुकवाने से सालाना 36,000 करोड़ रुपए की बचत हो रही है।
नरेंद्र मोदी के इस बयान की कांग्रेस ने निंदा की है और कहा है कि विदेश में भारतीय विपक्ष की निंदा करते रहना अब निराशाजनक होता रहा है।
कांग्रेस सांसद और विदेश मामलों के जानकार शशि थरूर ने कहा, “भारत का इतिहास रहा है कि प्रधानमंत्री अपने विदेशी दौरों में अंदरूनी राजनीति घर में छोड़ कर जाते हैं और वहां वे सभी भारतीयों का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं। लेकिन उनको ये सीखना पड़ेगा कि जब वे विदेश में होते हैं तो अपने चुनावी प्रचार के अंदाज़ से बाहर निकलें।“
पिछले दो वर्षों में मोदी के 40 से भी ज़्यादा विदेश दौरे हो चुके हैं और वहां पर दिए गए भाषणों में से कई में मोदी ने विपक्ष पर ’तल्ख़ टिप्पणियां’ भी की हैं।
यही वजह है कि भारत में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने इस तरह के बयानों की खुलकर निंदा की है।