बेरोजगारी और सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड के लोग अपने पारम्परिक व्यवसाय यानि खेती को छोड़कर रोजी-रोटी के लिए पलायन करते हैं। लेकिन जिला ललितपुर, ब्लाक महरौनी के देवरान कलां गांव में लोगों ने पलायन से बचने के लिए गांव में ही ईट बनानें से लेकर बेंचने तक का काम शुरू किया हैं। ईट बनानें के लिए ढाई सौ रूपये टाली की मिट्टी खरीद कर लाते है।
सुषमा का कहना है कि पन्द्रह दिनों से ईट बनानें का काम कर रहें हैं। चैत के महीने में ईट बनानें का काम छोड़कर दूसरे के खेत काटने जाते हैं। जेठ बैसाख के महीनें में ईट पकाकर बाहर बेचते हैं। कुंदन का कहना है कि ईट बनाकर बच्चों को पालते हैं एक दिन में पांच सौ ईट बना लेते हैं। एक किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है, हमारे पास पैसा नहीं है कि हैन्डपम्प लगवा लें। माया का कहना है कि ठंडी और गर्मी के मौसम में ईट बनानें का काम करते हैं। ईट बनानें में बहुत मेहनत लगती है। पहले मिट्टी खोदते है फिर सींचते है उसके बाद अच्छे से मिट्टी सानकर लोई बनातें हैं फिर ईट बनातें हैं।
रिपोर्टर- सुषमा
Uploaded on Jan 24, 2018