दीपावली का त्यौहार पटाखन के बिना अधूरा लागत है। आज के दिन लाखन रूपिया के पटाखा एक रात मा उड़ा दीन जात हैं। जेतना पटाखा फोड़ै मा मजा आवत है वहिसे ज्यादा फइलत है प्रदूषण, जउन सबके स्वास्थ्य खातिर बहुतै नुकसान पहुंचावत है। या बात सिर्फ एक मोहल्ला, शहर, कस्बा तक सीमित निहाय गांव तक मा भी फइल चुकी है।
या कउनतान के व्यवस्था है जहां देष का मुखिया मतलब प्रधानमंत्री पर्यावरण का स्वच्छ बनाये राखैं खातिर साफ सफाई का अभियान शुरू करे है। होंआ दीपावली के आड़ से पटाखा फोड़ के पर्यावरण का भारी नुकसान पहुंचावा जात है।
दीपावली आवैं से पहिले मड़ई महीनन पहिले से साफ सफाई करत है, पै महीनन के सफाई पटाखा से निकलैं वाले धुआं अउर धूल से एक रात मा मिट्टी मा मिला दीन जात है। धुआं अइसे फइलत है कि पूरे वातावरण मा छा जात है, जउन फइलावत हैं जानलेवा बीमारी। केतना आसान लागत है पटाखा फोड़ब, पै का आसानी से हम मान सकत हन कि पर्यावरण का नुकसान पहुंचावै वालेन मा हमार नाम भी शामिल है। पर्यावरण बचावब आपन जिम्मेदारी नहीं एहसान समझा जात हैं। जउन दिन मड़ई या जिम्मेदारी समझ लेहैं वा दिन से पर्यावरण का साफ राखैं का काम शुरु होई जई। वा कहावत सही होई जई कि बूंद-बूंद से घड़ा भरत है। सोचे वाली बात या है कि सरकार ही पटाखा बेंचवावत है अउर वहिसे मुनाफा भी कमात है। बाद मा पर्यावरण बचावैं के अपील करत है।
पर्यावरण का प्रदूषण रोकब जरुरी
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