राष्ट्रीय स्वास्थ्य परिवार सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, भारत में गर्भनिरोध का सबसे लोकप्रिय तरीका महिला नसबंदी है। आज परिवार नियोजन तरीकों में 75 फीसदी में महिला नसबंदी का प्रयोग होता है। ज्यादा सुरक्षित आसान होने के बावजूद भी पुरुष नसबंदी का प्रतिशत 0.62 है। महिलाओं पर परिवार नियोजन की जिम्मेदारी बढ़ती चली जाती है। लेकिन वर्ष 2005-06 में 78 फीसदी पुरुषों ने स्वीकार किया कि अकेले महिला परिवार नियोजन की जिम्मेदारी नहीं ले सकती हैं। जनसंख्या के विषय पर ‘पॉप्युलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया’ संस्थान की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्तेरेजा ने इंडियास्पेंड को दिये साक्षात्कार में प्रश्नों के उत्तर कुछ इस तरह दिये-
क्या नसबंदी के दौरान महिलाओं की मौतों के बाद राज्य सरकारों के लिए नसबंदी करने में बाधा आई है?
बिलासपुर नसबंदी शिविर में हुई नवंबर 2014 में 15 महिलाओं की मौत हुई थी। इसको देखते हुए सरकार ने परिवार नियोजन सेवाओं में देखभाल की गुणवत्ता में सुधार लाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की क्षमता को मजबूत करने के लिए कई काम किए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले ही परिवार नियोजन कार्यक्रम के लिए इंजेक्शन गर्भ निरोधक, गोलियां को शामिल कर लिया है।
भारत में पुरुष नसबंदी का अनुपात छोटा क्यों है?
दुनिया भर में केवल 2.4 फीसदी जोड़े ही पुरुष नसबंदी चुनते हैं। अमेरिका और कनाडा में आबादी की तुलना में पुरुष नसबंदी के आंकड़े 10.8 फीसदी और 21.7 फीसदी हैं।
सांस्कृतिक प्रतिबंध और नसबंदी से जुड़े मिथक भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। जैसा कि भारतीय पुरुष इस प्रक्रिया से गुजरना नहीं पसंद करते हैं। उन्हें अपने पुरुषत्व को खोने का डर रहता है।
दूसरे देशों में पुरुषों को सम्मिलित करने वाले कौन सी सफल रणनीतियां हैं जिन्हें भारत में लागू किया जा सकता है?
पुरुष को शामिल करने के बहुत कम प्रयास हुए हैं। अधिक ध्यान महिलाओं पर ही केंद्रित किया गया है। इसलिए पुरुषों को प्रोत्साहित करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली, परिवार नियोजन कार्यक्रमों और संचार रणनीतियों को नए ढंग से डिजाइन करना चाहिए।
हमें परिवार नियोजन पहलों में पुरुषों को शामिल करने की आवश्यकता क्यों है?
परिवार नियोजन सिर्फ एक महिला का मुद्दा नहीं है। यह एक पति- पत्नी का मुद्दा है। इसलिए, दोनों को ही ध्यान में रखना होगा। आंकड़ों से पता चलता है कि 22 फीसदी पुरुषों के लिए गर्भनिरोध की जिम्मेदारी महिलाओं पर है।
जो ठीक नहीं है।
फोटो और लेख साभार: इंडियास्पेंड