जिला सीतामढ़ी, प्रखण्ड सोनबरसा के झीम नदी जे नेपाल से बह के आयल हई। ओई नदी के धार मुड़ के दोसरा तरफ चल गेल हई। जेई कारण पुरानी धार के दुनु तरफ से हजारो एकड़ खेत परती रह जाई छई। ऐई के लेल किसान सब चाहई छथिन कि पुराना धार के उराही कके नया धार में जोड़े के लेल। जेईसे सिचाई के सुविधा हो जाये अउर परती खेत भी कामिल हो जतई।
सोनबरसा, लालबंदी अउर नेपाल के त्रिभुवननगर के किसान नथुनी दास, सुरेश महतो, लक्ष्मण नारायण, किशोरी राम कहलथिन कि पहिले गांव से सटले नदी के धार रहलई लेकिन दस साल उपरे उ धार दोसरा तरफ घुम गेलई अउर पुराना धार पर बालू के ढ़ेर लाग गेल हई। जेई कारण हजारो किसान के उपजाउ खेत भी खत्म हो गेलई। हम सब बहुत दिन से सोचई छी कि पुराना धार के उराही करे के लेल। लेकिन कोई अधिकारी ऐई पर ध्यान न देई छथिन। अगर पुराना धार के उराही कके नया धार से जोड़ देल जतई। तब लाखो किसान के भाग उदय हो जतई । जेतना भी बालू के रेत वाला खेत हई ओकर मिट्टी काट के उपजाउ खेत बना देल जतई अउर दोसर में सिचाई के लेल हर समय नदी के पानी भी उपलबध रहतई। तब फसल भी काफी होतई।
सोनबरसा पंचायत के मुखिया संजय कुमार महतो कहलथिन कि अभी महायोजना के तहत कार्ययोजना में डालल जतई तब पास कयल जतई। उहां के विधायक रामनरेश यादव कहलथिन कि हम ऐई के लेल जिला में बात कर रहल छी कि उराही होये के चाही। ऐईमें लाखो किसान के पेट के सवाल हई।
परती परल जमीन
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