केंद्र सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय ने एनडीटीवी हिंदी चैनल को एक दिन के लिए बंद करने करने का आदेश दिया है। चैनल पर यह कार्रवाई पठानकोट हमले के दौरान उसकी विशेष खबर दिखाने को लेकर की गई है। मंत्रालय की एक समिति ने एनडीटीवी की विशेष खबर को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना और 9 नवंबर को एक दिन के लिए प्रसारण बंद करने की सिफारिश की है। यह पहली बार है जब किसी आतंकी हमले की कवरेज को लेकर किसी चैनल पर कार्रवाई की गई है।एनडीटीवी अपनी विश्वसनीय खबरों और सच्ची पत्रकारिता के कारण विश्व भर में पढ़ा, सुना और देखा जाता है। इस आदेश के बाद मामले ने सोशल मीडिया पर जोर पकड़ लिया है। इस खबर से नाराज़ लोग मोदी सरकार के फैसले का कड़ा विरोध कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर एक मुहिम शुरू हो चुकी है, जिसमें लोग प्रसिद्द एनडीटीवी एंकर रविश के साथ खड़े हो कर मोदी सरकार की आलोचना कर रहे हैं। कई बड़े पत्रकारों और बुद्धिजीवियों का मानना है कि यह आपातकाल की शुरुआत है। यह सच भी है क्योंकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ जनता को अपनी बात कहने और अपने विचार रखने का पूरा अधिकार है लेकिन मोदी सरकार इस हक़ को जनता से छीनना चाहती है। मीडिया और पत्रकारिता का मुख्य उद्देश है कि वह जनता के खिलाफ होते अत्याचारों और अन्याय के खिलाफ खड़ी हो कर सरकार से सवाल करे लेकिन मोदी सरकार हिटलर की तरह तानाशाही शासन चाहती है जिसे एनडीटीवी ख़ारिज करता आया है और अब उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
वहीँ लोगों का कहना है कि एनडीटीवी ने हमेशा सच दिखाया है। मुद्दा कोई भी रहा हो, एनडीटीवी ने बहुत ही सादगी से सच को सामने रखा है।
ज्यादातर लोगों ने अपील की है कि 9 नवंबर को कोई भी चैनल न देखें और लोकतंत्र का साथ दे कर तानाशाही सरकार का विरोध करे।
पत्रकारिता पर पहरा बैठाने वाली सरकार लोकतंत्र का साथ कैसे देगी?
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