बदायूं। पिछले साल के सबसे चर्चित रहे बदायूं मामले में सी.बी.आई. ने अपनी रिपोर्ट जिले की स्थानीय अदालत में 2 फरवरी को सौंपी। 5 फरवरी को अदालत ने सी.बी.आई. रिपोर्ट को आधार बनाकर इसे आत्महत्या का मामला मानते हुए आरोपियों को बेगुनाह ठहरा दिया है।
रिपोर्ट की मानें तो लड़कियों ने शर्म के कारण आम के पेड़ से लटककर खुद फांसी लगाई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि पंद्रह साल की बड़ी बहन का प्रेम संबंध आरोपी पप्पू यादव के साथ था। लेकिन चैदह साल की छोटी बहन के साथ भी पप्पू के शारीरिक संबंध थे। 27 मई 2014 में पप्पू ने छोटी बहन को खेत में बुलाया था। लेकिन रिश्ते के एक चाचा को यह पता चल गया। इस कारण से दोनों बहनों ने फांसी लगा ली। बदायूं मामले का मुख्य आरोपी पप्पू यादव था। हालांकि इस पूरे मामले में अन्य चार और भी आरोपी थे। इसमें एक हवलदार सर्वेश यादव बाकी पप्पू यादव के दो भाई भी थे।
लड़कियों के घरवालों के कुछ सवाल अभी भी अनसुलझे हैं, जैसे छोटी लड़की के शारीरिक संबंध थे तो फिर बड़ी ने फांसी क्यों लगाई। मामले के मुख्य गवाह रहे लड़की के चाचा ने बताया कि खेत मे दो लड़कियां थीं। जबकि रिपोर्ट में सिर्फ एक ही लड़की के खेत में होने की बात कही गई है। पहली बार की गई सभी जांचे क्या झूठ थीं, जिनमें हत्या और बलात्कार साबित हुआ था। फिर जांच करनेवाले सभी डाक्टरों को क्या कोई सजा दी जा रही है।
दोगुने हुए बलात्कार के मामले
सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में मिले जवाब से उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ रही हिंसा के आंकड़े सामने आए हैं। आगरा के सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने राज्य पुलिस विभाग से यह आंकड़े सूचना के अधिकार के तहत मांगे थे।
साल 2013 में जहां बलात्कार के एक हजार सात सौ अड़सठ मामले दर्ज हुए थे वहीं 2014 में तीन हजार छह सौ सात मामले दर्ज हुए हैं। यानी बलात्कार के दर्ज मामले एक साल में लगभग दोगुने हो गए हैं। आगरा, मथुरा और मैनपुरी की हालत तो इस मामले में और भी ख्.ाराब है। यहां केवल नाबालिग लड़कियों के साथ हुए बलात्कार के दर्ज होने वाले मामले तेजी से बढ़े हैं। आगरा में 2013 में चैंतिस मामले ही बलात्कार के दर्ज हुए थे वहीं 2014 में एक सौ तिहत्तर मामले थाने में आए। मथुरा में छह से बढ़कर यह मामले तेईस हो गए तो मैनपुरी में चैदह से बढ़कर उन्नीस मामले दर्ज हुए।