जिला झांसी, ब्लाक बबीना गांव सिमरिया में स्वास्थ्य केंद्र तो बन गओ लेकिन कोनऊ डॉक्टर नइया। इते के आदमियन को तनक सी बीमारी होबे पे भी छप्पन किलो मीटर दूर बबीना जाने परत इलाज कराबे के लाने।
अगर जीनो खुद को साधन हे सो बो तो अपनों इलाज टेम पे करा लेत और जी के पास साधन नइया तो बो अपने इलाज के लाने के तो कोऊ को साधन लुबा जात के फिर अपने घर में ही बीमार डरो रत। काय के न तो उते कोनऊ डॉक्टर हे न कोनऊ साधन चलत उते। और उते के अगल बगल के गांव में भी कोनऊ स्वास्थ्य केंद्र नइया।
कुसुम ने बताई के न हमाय ते के स्वास्थ्य केंद्र में कोनऊ डॉक्टर हे न कोनऊ सुविधा हे। अगर कोऊ को कोनऊ परेशानी हे तो हम ओरन को छप्पन किलो मीटर दूर बबीना जाने परत दवाई लेबे के लाने। और अगर कोऊ के डिलेवरी होने के कोनऊ गर्भवती महिला को लिबा जाने तो एम्बुलेंस बुलाओ तो बो भी कबहु टेम पे आ जात कबहु नइ आत। तो फिर कोऊ को साधन मांग के लिबा जाने परत।
गुलाब ने बताई के हमाय ते तो स्वास्थ्य केंद्र की सबरी परेशानी हे। और गरीब आदमियन को सबसे ज्यादा हे। काय के न तो उन ओरन नो खुद को साधन हे। और न इतने रुपईया हे के बे दूसरे को बाहन लिबा जाबे।
साहिल ने बताई के हमाय ते भोत परेशानी हे स्वास्थ्य केंद्र की। अगर हमाय ते बन जेहे स्वास्थ्य केंद्र तो हम ओरन को सुविधा हो जेहे। और अगल बगल के गांव के आदमियन को भी सुविधा हो जेहे।
काय के इते के आदमी भोत ज्यादा परेशानी से गुजर रए। जेसे आदमी दवाई लेबे जात तो कोऊ कोऊ को पैदल जाने परत छप्पन किलो मीटर दूर बबीना। काय के कोनऊ साधन नइ चलत। इतवार बुधवार को मिल जात अगर कोऊ को आपे तो बई से चले जात नइ तो पैदल ही जाने परत।
अनीता ने बताई के अगर गर्भवती को छोड़बे रात में आत एम्बुलेंस तो डेढ़ सौ रुपईया ले लेत। और दिन में आत तो कोऊ से पचास तो कोऊ से सौ ले लेत एम्बुलेंस वाले।
रिपोर्टर- सफीना
02/11/2016 को प्रकाशित