जिला बांदा। ठंड से बचाने के लिए सरकार की तरफ से अलाव जलाने और कंबल बांटने के लिए बजट पास होता है। लेकिन इस साल अलाव दिखाई नहीं पड़ रहे हैं। कंबल के इंतजा़र में ठंड बीती जा रही है।
तिंदवारी कस्बे के अब्दुल अली और संजय कुमार ने बताया कि खानापूर्ति के लिए यहां केवल दो अलाव जल रहे हैं। चिल्ला कस्बे के रामखेलावन, राधेश्याम और रामबाबू की मानें तो अबकी तो इन्होंने अलाव जलते देखे ही नहीं। बांदा शहर के मोहल्ले क्योटरा से शहज़ादी और जानकी, बिजली खेड़ा की गुजरतिया, मोचियाना की कमला, छाबी तालाब की सियारानी ने बताया कि दो दिन कंबल लेने गए लेकिन खाली हाथ लौटे।
बांदा सदर एस.डी.एम. प्रहलाद सिंह ने कहा कि 24 दिसंबर तक दो सौ दस कम्बल बांट चुके हैं। मैं और डी.एम. रात घूम घूमकर जांच भी करते हैं।
जिला चित्रकूट, ब्लाक रामनगर, कस्बा राजापुर। यहां की ननकी और लक्ष्मी ने बताया कि उन्हें कंबल नहीं मिले हैं। उन्होंने लिखित दरखास दी है। गीता, रन्नू देवी और छंगी ने बताया कि हाड़ कंपाने वाली ठंड पड़ रही है। लेकिन अब तक कंबल नहीं मिले हैं। टाउन एरिया के अधिशाषी अधिकारी हासिम अली का कहना है कि 1 दिसंबर को सर्वे हुआ था। जिनके नाम आए थे उन्हें कंबल दे दिया गया है।
ठंड में मौतें – उत्तर भारत में अब तक ठंड से सत्तर लोगों की मौत हो चुकी है.
जिला महोबा, ब्लाक कबरई। यहां के राजीव नगर कस्बे में 24 दिसंबर को छत्तीस साल के देवीदीन की मौत ठंड से हो गई। देवीदीन खेत में पानी लगाने गए थे जहां उनकी तबियत खराब हुई, अस्पताल पहुंचते ही डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
गांव मकरबई के पैंसठ साल के भैरम सिंह की 23 दिसम्बर को अस्पताल में मौत हो गई। गांधी नगर मोहल्ले के हामिद खां की मौत भी ठंड में हो गई।
महोबा एस.डी.एम. राकेश कुमार गुप्ता ने कहा कि अगर पोस्टमार्टम में मौत का कारण ठंड पाया गया तो परिवार को मुआवज़ा दिया जाएगा।
जिला बांदा, ब्लाक बबेरू, गांव अछाह। यहां की कौशिल्या ने बताया कि 19 दिसंबर को पछहत्तर साल के उनके पति और चालीस साल के बेटे की मौत हो गई। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बबेरू के डाक्टरों ने बताया कि मौत ठंड से हुई है।