प्रधानमंत्री मोदी ने वादा किया था कि नोटबंदी के बाद की स्थिति 50 दिन में सामान्य रूप से वापस आ जाएगी। व्यापारियों को जब नोटबंदी से अधिक दिक्कतें उठानी पड़ी तब भी प्रधानमंत्री ने कुछ दिनों की मोहलत पर बाजार सामान्य होने के बारे में कहा था।
इस बारे में मुंबई और उत्तर–शहरी, पेरी–शहरी और ग्रामीण इलाकों में छोटे खुदरा दुकानों पर नोटबंदी से पड़ने वाले प्रभावों के बारे में मुंबई और उत्तर–शहरी, पेरी–शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 24 कॉर्नर दुकानों से 54 और 55 दिनों के दौरान एक दौरा किया गया। जिसके अनुसार पाटिल 19 दुकानदारों में से एक थे जिन्होंने 50% या उससे अधिक की हानि को वहन किया था।
इस दौरे के दौरान यह बात मोटे तौर पर सामने आई कि साल भर बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ है।
14 दुकानों के मालिकों ने कहा कि उनकी दुकानों में अभी भी नुकसान चल रहा है। इन 14 में से 12 स्टोर्स के मालिकों ने कहा कि उनकी हानि 50% से अधिक थी और आठ ने कहा कि व्यापार 10 महीने पहले भी खराब था।
सभी दुकानदारों ने कहा कि जीएसटी ने माल को और अधिक महंगा कर दिया और व्यापार को कम कर दिया जिसकी वजह से ग्राहक का आना कम हो गया, लेकिन फिर भी वह कहते हैं कि उनका कारोबार लगभग 10% से 50% के बीच है।
दुकानदारों का यह भी कहना है कि दुकानों पर ग्राहकों का आना कम हुआ है लेकिन ऑनलाइन खरीददारी बढ़ गयी है।
इन सबके बावजूद, अपने नुकसान के बावजूद किराना स्टोर मालिकों के बीच भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। उनका मानना है कि शायद यह बदलाव लायेगा।
भाजपा के नेता भी जीएसटी और नोटबंदी के दूरगामी परिणाम की चर्चा कर व्यापारी मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रहे है। हालाँकि कुछ व्यापारियों का कहना है कि यह प्रयास अच्छा है लेकिन इसे जिस तरह से लागू किया गया है वो जल्दबाजी के साथ व्यवहारिक नहीं है।
फोटो और लेख साभार: इंडियास्पेंड