पिछले डेढ़ महीना से जगो तौ नोटबंदी सो तौ नोटबंदी हिंया तक सपने मा भी नोटबंदी के सपना आवत हवैं कबै खतम होइ या नोटबंदी गरीब मड़ई कत्तौ संभल पइहैं या यहिनतान एक के बाद एक मुद्दा मा फंसे रहि हैं?दिसम्बर का पूर महीना होये के बादौ बैंकन मा जनता के भीड़ इनतान लाग हवै कि देखतै बनत हवै सरकार का सोच के तुरतै या फैसला लिहिस हवै।
मड़इन के मन मा रात दिन यहै चिन्ता सताये हवै कि पता नहीं मोदी सरकार अब कउन फैसला अचानक सुनाई।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र के गरीब पिछले और बेरोजगारी से परेशान चित्रकूट, बांदा, महोबा, झांसी, ललितपुर जइसे जिलन के मड़ई खाये खातिर दर दर के ठोकर खात हवैं। जउन जमीदार रहै आज उंई भी रुपिया खातिर दुसरे के सउहें हाथ फइलावत हवैं।
किसानन का रबी के फसल का समय निकला जात हवैं। बीज खाद खातिर रुपिया नहीं आय। कसत किसान फसल पैदा करी का कृषि प्रधान देश मा खाए का भी मड़ई तरसी? किसान दिन भर लाइन मा ठाढ़ होए के बाद वहिमा दुइ हजार रुपिया मिलत हवै।
अगर वहिमा दस हजार रुपिया के बीज खरीदे का हवै तौ वा दुइ हजार मा का करी ताजा उदाहरण राजापुर कस्बा मा लगभग कइयौ बैंक हवै जउन एक एक कदम के दुरी मा रहै पै भीड़ देखतै बनत रहै।
रामनगर के सिकरी गांव से राजापुर बैंक मा गे एक मेहरिया आपन बीती बतावत रहै कि वा सुबेरे 9 बजे से यू पी इलाहाबाद बैंक के सउहें लाइन मा ठाढ़ रहें, घर से कुछ खाये भी नहीं रहेव ठाढ़ ठाढ़ ढाई बज गा तौ बैंक वाले कहिन की उनकर जांच होइगा। उंई तौ खाना खाये चले गें मैं लाइन मा शाम पांच बजे तक लाग रहेंव मोहिका पांच हजार रुपिया खाद बीज खातिर निकालै का रहै पै जबै मोर नम्बर आवा तौ बैंक मैनेजर कहिस दुसर कागज भरै का परी दुइ हजार चाही तौ मिली नहीं तौ भाग जाव जल्दी जल्दी दुसर फार्म भरवावे तब तक मोर लाइन मा दुसर मड़ई कब्जा कइ लिहिन।
बहुतै लड़ाई के बाद मोहिका जघा मिली और पांच बजे दुइ हजार रुपिया मिला। मोरे घर मा छोट छोट बच्चा भूखे होई है आज गोरुवन का चारा कउनौ न करिस होइ रात के का खवइहौं। खुद के मोर भूख तौ बैंक के धक्का खाये मा भूल गे हवै पै घर के का हाल होई? या मोदी कबै तक कुर्सी मा रही। हम गरीब मड़इन का सतावत रही।
इनतान के समस्या हर बैंकन मा देखै का मिलत हवै, पै यहिका कउनौ रोक काहे नहीं लगा पावत आय। का 2017 मा भी यहै समस्या मड़इन का झेलै का पड़ीं या सरकार कुछौ इंतजाम करवाई?