8 नवंबर 2016 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1,000 नोटों को अचानक बंद करने की घोषणा की थी। उस समय चलन में 86 फीसदी नकदी थे। उनका मानना था कि पुराने नोट बंद कर के भ्रष्टाचार से बाहर निकलने, कालेधन को रोकने, सिस्टम से काले धन निकालने और नकली नोटों पर रोक लगाने में सहायता मिलेगी।
इस कदम की घोषणा करने के तुरंत बाद, प्रधानमंत्री जापान की यात्रा पर चले गए थे, जो आरोपों को निमंत्रण देने के लिए काफी था। इस कदम के स्पष्टीकरण के लिए व्यापक मांगों का सामना करने के लिए जब वे 12 नवंबर को वापस आए तो सरकार में वित्त के जानकार लोगों की टीम ने नेक इरादों का दावा करते हुए इसे‘विमुद्रीकरण’और ‘नोटबंदी’जैसे शब्द दिए।
एक साल बाद, 16.35 लाख करोड़ रुपए का कुल मुद्रा चलन में है (27 अक्टूबर 2017 तक), जो नोटबंदी के पहले नवंबर 4, 2016 तक 17.97 लाख करोड़ रुपए का 91 फीसदी है।
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया( आरबीआई) के अनुसार, सितंबर 2017 में डिजिटल भुगतान मूल्य में बढ़कर 124.7 लाख करोड़ रुपए हुआ है, जो नवंबर 2016 के 94 लाख करोड़ रुपए से 33 फीसदी ज्यादा है। लेकिन पिछले महीने के मुकाबले 29 अक्टूबर, 2017 तक 20 फीसदी गिरकर 99.3 लाख करोड़ रुपए हुआ है।
जब उच्च मूल्य वाले नोटों को रद्द कर दिया गया था, जिसका मूल्य 15.44 लाख करोड़ रुपए था। आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट 2016-17 के अनुसार, 30 जून, 2017 तक जिनमें से 99 फीसदी (15.28 लाख करोड़ रूपए) केंद्रीय बैंक को वापस पहुंच गया है।
वर्ष 2015-16 में 3,420 करोड़ रुपए के मुकाबले, जुलाई 2016 से जून 2017 के बीच नए मुद्रा नोटों को प्रिंट करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने 7,965 करोड़ रुपये खर्च किए।
पूर्व नोटबंदी के स्तर की तुलना में डिजिटल भुगतानों की संख्या और मूल्य में वृद्धि हुई है, लेकिन हर महीने उतार–चढ़ाव जारी है। हालांकि, नवंबर, 2016 (94 लाख करोड़ रुपए) की तुलना में अक्टूबर 2017 (99.3 लाख करोड़ रुपए) में दर्ज डिजिटल भुगतानों के मूल्य में 6 फीसदी की वृद्धि हुई है।
नोटबंदी के फौरन बाद के महीने में, मूल्य के संदर्भ में डिजिटल भुगतान में 11 फीसदी की वृद्धि हुई थी, यह आंकड़े नवंबर, 2016 में 94 लाख करोड़ रुपए से बढ़ कर दिसंबर 2016 में 104 लाख करोड़ रुपए हुए थे।
फिर भी, दिसंबर 2016 की तुलना में जनवरी, 2017 में 7 फीसदी और फरवरी, 2017 में 11 फीसदी की गिरावट आई। फरवरी, 2017 की तुलना में मार्च 2017 में 62 फीसदी (149.5 लाख करोड़ रुपए) का इजाफा हुआ और पिछले महीने की तुलना में अप्रैल, 2017 में 27 फीसदी की गिरावट आई थी।\
डिजिटल लेन–देन अक्टूबर, 2017 में 29 फीसदी से बढ़कर 863.9 मिलियन हो गया, जो नवंबर, 2016 के अंत में 671.5 मिलियन था।