काठमांडू, नेपाल। नेपाल में 25 अप्रैल को आए भूकंप में अब तक पांच हजार ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबर है। राहत कार्य में लगी टीम की मानें तो पांच हज़ार से भी ज़्यादा लोग अभी भी मलबे में दबे हैं। नेपाल से लगा होने के कारण भारत में भी कई जगहों पर तेज झटके महसूस हुए और पचहत्तर लोगों की जानें गईं। बिहार में अट्ठावन लोगों की मौतें हुईं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार नेपाल में भूकंप से चैदह लाख से ज़्यादा लोग बेघर हो गए हैं। नेपाल की राजधानी काठमांडू पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। नेपाल के साठ शहरों में भूकंप ने तबाही मचाई है। भूकंप की तीव्रता 7.5 नापी गई।
भूकंप में झटके से मौत
जिला सीतामढ़ी, प्रखण्ड रीगा, गांव बसंतपुर। 26 अप्रैल को आए भूकंप के झटके में अरसठ साल की राघो देवी की घर गिरने से मौत हो गई। बेटे सुरेश ठाकुर ने बताया कि खाना खाकर मां सो गईं थी। भूकंप के कारण घर पूरा नीचे बैठ गया। मां उसमें दबकर मर गई। छप्पर हटाकर लाश निकाली। रीगा थाना के मुन्सी का कहना है कि आपदा का केस हुआ हैं। मेडिकल रिर्पोट आने के बाद कार्रवाई होगी।
नेपाल के जिला सरलाही, गांव मूरतिया से लौटने के बाद-खबर लहरिया की पत्रकार ने हमसे साझा की अपनी आंखो देखी। वह वहां रिस्तेदार की शादी के लिए गई थी और भूकंप के दौरान उस गांव में मौजूद थीं।
मैं घर में खाना बना रही थी। पहले धरती हिली, फिर पूरा घर। सब लोग घर के बाहर आए। हम लोग घर के बाहर एक दूसरे को पकड़कर बाहर बैठे रहे। हम लोगों ने पूरी रात बाहर गुजारी। दूसरे दिन भी लोग दिन में कुछ कुछ सामान लाने घर में जाते और डर के मारे बाहर आ जाते। 28 अप्रैल तक लोग मैदान में पालीथिन या चादरें तानकर घरों से बाहर ही जिंदगी काट रहे थे। 23 अप्रैल को मेरे घर में शादी थी। 24 अप्रैल को भी पूरी रात तूफान और बरसात में गुजरी थी। घर में परिवार के करीब बीस लोग मौजूद थे। इतना बड़ा झटका न तो मैंने और न ही मेरे परिवार ने पहले कभी महसूस किया था। मेरा पूरा मकान दरक गया है। बगल में पड़ोसी का दो मंजिला मकान गिर गया। कई और मकान गिर गए। मेरी ननद समेत कई औरतें डर के मारे बेहोश हो गईं। न कोई राहत टीम और न ही प्रशासन भूकंप के तीन दिन बाद तक नहीं पहुंचा। पत्रकार ने कुछ लोगों के अनुभव भी हम तक पहुंचाए। गांव मुरतिया के जगेश्वर थापा, राम प्रीत महरा, शांतो ने बताया कि इतना बड़ा तूफान और हादसा हमने पहले कभी नहीं देखा। एक बार आकर चला जाता तो फिर भी ठीक था मगर धरती तो हर घंटे डोल रही है। घर जाने की हिम्मत नहीं हो रही है। लगता है कि घर जाएंगे तो वहीं दबकर रह जाएंगे। भूकंप के दौरान संतुलन बिगड़ने से एक बाइक सवार कुएं में जा गिरा। जहां उसकी मौत हो गई।