जिला फैजाबाद। यहां ब्लाक पूराबाजार, मया और तारुन में हर किसान को मुआवजे के तौर पर न्यूनतम यानी पंद्रह-पंद्रह सौ रुपए के चेक बांटे जा रहे हैं। जबकि किसानों का नुकसान अलग अलग हुआ है। नियम के मुताबिक एक हेक्टेयर यानी चार बीघे खेत की फसल बर्बाद होने पर साढ़े तेरह हजार रुपए मुआवजे के मिलने चाहिए। पूराबाजार ब्लाक में 25 मई को इक्कीस गांव के पन्द्रह सौ छप्पन किसानों को विकास खण्ड कार्यालय में मुआवजे के चेक बांटे गए। रसूलाबाद के किसान राम उजागर का कहना है कि हमारे तीन बीघे खेत की सारी फसल बर्बाद हो गई। मगर हमें केवल पंद्रह सौ रुपए का चेक मिला। जबकि नियम बता रहे हैं कि चार बीघे का साढ़े तेरह हजार मिलना चाहिए तो इस हिसाब से तो हमें बहुत मिलना चाहिए।
इसी तरह से तारुन ब्लाक में 18 मई को बीकापुर तहसील में कई गांवों के किसानों को पन्द्रह सौ रुपए के चेक लेखपाल और तहसीलदार द्वारा दिए गए। विजैनपुर सजहरा के मस्तराम ने बताया कि हमारे दो बीघे खेत की फसल बर्बाद हुई है। फिर हमें न्यूनतम पंद्रह सौ रुपए का ही चेक क्यों मिला है। मया ब्लाक में भी 23 मई को लगभग ढ़ेड़ सौ किसानों को पन्द्रह पंद्रह सौ के ही चेक दिए गए। दामोदरपुर के उमाकांत, रकौरा के आशाराम का कहना है हमारे चार चार बीघे खेत की फसल बर्बाद हुई है। हमें तो साढ़े तेरह हजार रुपए मिलने चाहिए मगर पंद्रह सौ ही मिले।
अपर जिलाधिकारी वित्त राजस्व जयशंकर दुबे से जब तय मुआवजे और असली में मिले मुआवजे की रकम में अंतर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुआवजा नुकसान की भरपाई के लिए नहीं होता है। इसे राहत के लिए दिया जाता है। जब उनसे पूछा गया कि एक हेक्टेयर यानी चार बीघे का साढ़े तेरह हजार रुपए मुआवजा तय किया गया है। मगर जिनका चार बीघा नुकसान हुआ है या फिर एक बीघे नुकसान हुआ सभी को पंद्रह सौ रुपए का चेक क्यों दिया जा रहा है तो उनका कहना था कि लेखपाल हमें जो लिखकर देते हैं हम वही मुआवजा किसानों को देते हैं। हालांकि अभी हम पहले चरण में केवल छोटे किसानों को मुआवजा दे रहे हैं। जिनका तेतिस प्रतिशत से ज्यादा का नुकसान है। अगर उन लोगों को लगता है कि उन्हे उचित मुआवजा नहीं मिला है तो वो आवेदन दे शिकायत कर सकते है।
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