फैजाबाद मा कुछ ब्लाक के कोटेदारन का राषन उठावै कै पैसा नाय मिलत। जबकि विभाग से पास भै बाय। यका नियम कै उलंद्यन कहा जाए कि कोटेदारन का जानकारी न हुवय कै कारण? जेहमा दुइनौ तरफ से राषन कार्ड धारक घाटा सहाथिन।
कोटेदारन का सम्भागीय खाद्य नियंन्त्रक से राषन लइके आवै जाय कै पैसा मिलाथै। केेतना आवै जाए कै खर्च लागाथै। केतना राषन उठाइन पूरा ब्योरा भरके सीनियर माकेटिंग इंस्पेक्टर के पास जमा करै का पराथै तब पैसा मिलाथै। लकिन जब ई बात कोटेदारन का पता रहे तबै तौ? विभाग अउर कोटेदार के चक्कर मा राषन कार्ड धारक पीसा जाथिन। विरोध करै पै पता चलाथै कि राषन लावै कै खर्च नाय मिलत। जेसे राषन महसे काटा जाथै। जे कोटेदार का ई पता बाय कि पैसा नाय मिलत वै विभाग से मंाग करैं? कहीं न कहीं विभागन कै लापरवाही नजर आवाथै उनका फारम भरिके जमा करै कै प्रक्रिया काहे नाय समझाय जात? कोटेदारन का जानकारी न हुवय से राषनकार्ड धारक काहे घाटा सहैं? कभौ तेल तौ कभौ राषन मा कटौती कीन जाथै? आज नाय तौ दस दिन बाद कोटेदारन का उनकै किराया जोड़के मिल जाये। कार्डधारक कै नुकसानी के भरे? का उनका जोड़के ऊ राषन दीन जाये?
नियम कै हुवत उलंद्यन
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