शराब के ठेका चलावैं वाले ठेकेदार अउर प्रशासन मिलके सरकारी नियम के अइसी तइसी करें हैं। ठेके चाहे उंई देशी शराब के ठेका होय या अंग्रेजी, ज्यादातर ठेका नियम से हट के चलत हैं। बांदा अउर चित्रकूट के कइयौ कस्बा अउर ग्रामीण इलाका के लोग गलत ठंग से चलत ठेकन से परेशान हैं। बांदा जिला के बेर्राव गांव मा कैलाश पति इण्टर कालेज के अगल बगल दुई शराब के ठेका हंै। अब अन्दाजा लगावा जा सकत है कि स्कूल मा पढ़ै वाली छात्रन का केतनी परेशानी होत होई। मुश्किल से इं ठेका के दूरी अस्सी से सौ मीटर है। जबैकि नियम के हिसाब से शराब के ठेका चार सौ मीटर के दूरी मा होय का चाही। ठेका होंआ बिल्कुल नहीं होइ सकत जहां धार्मिक जघा होय। जइसे मस्जिद, मन्दिर अउर गुरूद्धारा।
आम जनता के भीड़ भाड वाली जगह स्कूल, कालेज अउर सिनेमा हाल से दूरी ठेका होइ सकत हैं, पै जिला के राजनैतिक पार्टी अउर प्रशासन के मर्जी से इनतान का धन्धा फलत फूलत है। ठेका चलावंै वाले ही कहिन कि प्रशाासन का कमीशन बंधा रहत है। उनकर जेब के ऊपर कमाई दारू अउर बालू से सबसे ज्यादा चलत तौ हमका कउन डेर। उनके जेब तौ हमहिन गरम करित हन।
आबकारी विभाग के अधिकारी पंूछै मा कहत हैं कि शराब के ठेका नियम से न चलै के खबर उनका है। राजनैतिक पार्टी के सउहें कारवाही करैं मा आपन मजबूरी बतावत हैं। दबे होठ या बात तक सउहें आई कि जिला से लइके लखनऊ के बड़े बड़े अधिकरिन तक का कमीशन बंधा होत है। का या तरीका से कउनौ भी मामला मा रोक लगावा जा सकत है। जबै अधिकारी मजबूर बतावत हैं।
नियम के अइसी तइसी
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