एक बेहद मशहूर फिल्म अभिनेता ने कहा कि देश में असहनशीलता बढ़ रही है। उसका विरोध हुआ। फिर दूसरे फिल्म अभिनेता ने भी इससे मिलता जुलता बयान दिया। फिर विरोध हुआ। उसे देशद्रोही कहा गया। भाजपा के लोगों ने खुले आम विरोध किया। राजनाथ सिंह ने तो यह तक कह डाला कि अपमान और भेदभाव के बावजूद भी बाबा भीमराव अंबेडकर ने देश छोड़ने की बात कभी नहीं सोची थी। एक दूसरे भाजपाई नेता शहनवाज हुसैन ने कहा कि अभिनेता डरे हुए नहीं बल्कि डरा रहे हैं। पहली बार असहनशीलता की बात कहने वाले अभिनेता शाहरुख खान थे और फिर आमिर खान ने दोबारा इसी बात को दोहराया। शाहरुख खान पर सोशल साइट के जरिए ताबड़तोड़ हमले हुए। उन्हें देश के खिलाफ बताया गया। उन पर लानत मलानत भेजी गई कि जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं। आमिर के खिलाफ तो बकायदा मुहिम ही चला दी गई कि वह जिस भी कंपनी का प्रचार करते उससे कोई सामान न खरीदे। दरअसल आमिर इस समय स्नैप डील नाम की एक आनलाइन सामान बेचने वाली कंपनी के ब्रांड एंबेसडर हैं। लोगों ने स्नैपडील की साइट पर कमेंट किए कि आपका सामान तो हमें पसंद है। मगर हम आमिर इसका प्रचार करते हैं इसलिए हम आपसे सामान नहीं खरीदेंगे। फेसबुक पर अभियान चला कि आमिर जिस भी उत्पाद का प्रचार करें उसे न खरीदें। आमिर और शाहरुख की फिल्मों को देखने न जाएं। हद तो तब हो गई जब आमिर खान के घर के बाहर कुछ खास हिंदूवादी दल और भाजपा के लोगों ने नारेबाजी की। उनके घर को घेर लिया। यहां तक कि उनकी सुरक्षा में पुलिस तैनात करनी पड़ी। यह दुखद है क्योंकि किसको क्या लगता है, उसे यह बताने का अधिकार है। उसे हक है कि वह अपनी राय बेखौफ हो रख सके। मगर जिस तरह से व्यक्तिगत राय पर पाबंदी लगाने की कोशिशें हो रही हैं, उनसे एक बात तो तय है कि बोलने की आजादी पर पाबंदी लगाने का दौर चल पड़ा है। और लोकतंत्र के लिए यह दौर बेहद निराशाजनक और डराने वाला है।
निजी राय पर पाबंदी लोकतंत्र के खिलाफ
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