जिला वाराणसी, ब्लाक चोलापुर, गावं अजांव, दलित बस्ती। इ बस्ती के करब सात मजदूर मेहरारू के कहब हव कि हमने छह महीना पहिले के काम कइले हई। ओकरे बाद से अभहीं तक हमने के काम नाहीं मिलल हव। काम करे वाली दशोदा, सीमा, चम्पा इ सब लोगन के कहब हव कि हमने के काम कइले करीब छह महीना हो गएल हव।अगर अइसे काम होई त हमने के पीिवार कइसे चली। इहां के सीमा देवी के कहब हव कि हम त विधवा हई हमके त काम ही एक आसरा हव। जब हम काम करब तबहीं हमार आउर हमरे बच्चन के पेट चली। प्रधान से काम खातिर कहल जाला त काम त मिल जाला लेकिन पन्द्रह दिन काम करके फिर छह महीना बइठे के होला। जे एही काम काम के आसरे हव आके त परेशानी उठावे के पड़त हव। अब अगर हमने काम ना करब त हमने के बच्चन के पेट चलब मुश्किल हो जाई। प्रधान से कहल जाई कि काम दा त प्रधान सुनबे नाहीं करतन। प्रधान शोभकान्त के कहब हव कि एक साल में सौ दिन काम देवे के हव। ओन लोगन के सौ दिन हो गएल हव। अब नया साल आ गएल हव त अब काम देब।
नाहीं मिलत हव काम
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मइके मा रहित हन
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