केन्द्र सरकार के हिंआ से चलाई गै महात्मा गांधी राष्टीय रोजगार गारण्टी योजना (मनरेगा) लागू करे बाय जेसे मजदूरन का सौ दिन काम मिल सकै। जेकै नारा हर गांव के दिवार पै लिखा बाय कि हर हाथ का काम मिलै काम के बदले दाम मिलै। पर का सरकार कै नारा अपने आप मा केतना खरा उतरा बाय यकै कउनौ पता नाय।
गांवन मा गरीब मजदूर कभौं काम के तलास मा तौ कभौं मजदूरी न मिलै के कारण भटका थे। सरकार तौ ई योजना गरीब मजदूरन के ताई चलाइके अपने समझ से ठीक करे बाय जेसे मजदूर मनई अपने गांव मा ही रहिके काम कै सकै। पर यकै फायदा जनता का केतना मिला थै कउनौ पता नाय। अगर गांवन मा जाए के देखा जाए तौ मनइन का कहूं सालन से कहूं महीना भर से मजदूरी नाय मिली। तौ कहूं कामै नाय चलत बाय। यसे मजदूर मनई आपन परिवार पालै के ताई बाहर काम करै जाथे।
अगर सरकार किउनौ भी योजना चालू करे के बाद वका पलट के देखै तौ शायद यहि तरह कै हुवय वाली मनमानी मा रोक लाग सका थै। पर का सरकार ई योजना चालू करै के बाद देखा थै। यहि प्रकार से तारुन ब्लाक के चैरासी ग्रामसभा कै मनई मनरेगा मा काम मिलै बकाया मजदूरी दियै के ताई धरना प्रदर्शन करिन लकिन का सरकार धरना प्रदर्षन करै से उनके समस्या कै हल करे।
नाय मिलत योजना कै लाभ
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