वाईएसआर कांग्रेस और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) की संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की योजना 19 फरवरी को नाकाम हो गई। लोकसभा और राज्यसभा में जोरदार हंगामे के बाद दोनों ही सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
अविश्वास प्रस्ताव से जुड़ी कुछ खास बातें…
- संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए कम से कम 50 सांसदों का समर्थन हासिल होना चाहिए।
- अविश्वास प्रस्ताव को कांग्रेस, टीएमसी, सपा, आरजेडी के अलावा लेफ्ट पार्टियों समेत दूसरे बीजेपी विरोधी दलों ने भी समर्थन देने का ऐलान किया है।
- मोदी सरकार ने भरोसा जताया है कि नोटिस स्वीकार कर लिये जाने पर भी लोकसभा में उसकी संख्या बल के कारण प्रस्ताव औंधे मुंह गिर जाएगा। दरअसल लोकसभा में मौजूदा सदस्यों की संख्या 539 है। इस लिहाज से बहुमत का आंकड़ा 270 होता है।
- केंद्र की ओर से आंध्रप्रदेश को विशष दर्जा दिए जाने से इंकार के बाद सबसे पहले वाईएसआर कांग्रेस ने भी पिछले सप्ताह अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया था।
- अगर शिवसेना भी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोट करती है तो भी मोदी सरकार पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है।
- अविश्वास प्रस्ताव, लोकसभा में विपक्षा पार्टी की तरफ से सरकार के खिलाफ लाया जाने वाला प्रस्ताव है। अगर विपक्षी पार्टी को ऐसा लगता है कि सरकार के पास आवश्यक बहुमत नहीं है तो वह यह प्रस्ताव लाती है। यह केवल लोकसभा में पेश किया जाता है।
- पहला अविश्वास प्रस्ताव जवाहर लाल नेहरू की सरकार के खिलाफ लाया गया था।
- मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर एआईएडीएमके ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है।
- अब तक पांच अविश्वास प्रस्ताव सफल रहे हैं और 7 असफल।
- अविश्वास प्रस्ताव की वजह से नब्बे के दशक में विश्वनाथ प्रताव सिंह, एच डी देवेगौड़ा, आई के गुजराल और अटल बिहारी की सरकारें चली गई थीं।