किसानन का धान लगावै वाला दिन आय गै लकिन सरकारी गोदाम मा न तौ बीज बाय अउर न खाद। मांग करै पै विभाग से गोदाम तक पहुंचै मा महीनन लाग जाथै। जेसे इकहत्तर गा्रमसभा के किसानन का बेरन डालै मा लेट हुअत बाय। कर्मचारी भी सहमत अहैं कि हिंआ हर बार यइसे हुआथे तौ किसानन के साथे यस खिलवाड़ काहे कीन जाथै?
लक्षमनपुर, अरवत, दलपतपुर, सिलौनी जैसे इकहत्तर गा्रमसभा गांव कै मनई बीज, खाद के ताई जगह जगह यहि गोदाम से वहि गोदाम पै भटकत अहैं। 1 मई से बीज बंटत बाय पर आज तक हर प्रकार कै धान या जे जवन लियै चाहै वका आज तक धान नाय मिल पावा। मंसूरी, साभा क्रास, सोना मंसूरी जैसे अच्छी पैदावार वाला बीज नाय रहत। सारा-सारा दिन लाइन लगाये के बादो बीज नाय मिलत बाय। यही से एक महीना से गोदाम कै चक्कर लगावै का परत बाय। का खाली नाम के ताई कृषि गोदाम बना बाय? का सरकार कृषि गोदाम किसानन के ताई दिखावटी बनवाये बाय कि जब किसानन का बीज खाद कै आवष्यकता रहै तौ न मिल पावै? प्रषासन से बीज अउर खाद जब तक आवाथै तब तक किसान बाजार से मंहगा बीज खरीद के खेती कै चुका रहाथिन तौ सरकार का कृषि गोदाम खोलवाये कवन फायदा? हिंआ तक कि कर्मचारी के मांग करै के दस पन्द्रह दिन देर से बीज भेजा जाथै। हिंआ के गोदाम कर्मचारी कै भी कहब बाय कि हिंआ हर बार बीज देर से आवाथै। यहि तरह से अगर षासन प्रषासन से लापरवाही होये तौ किसान के तरक्की मा बाधा परत रहे। अउर न नया बीज मिले न ही अच्छी पैदावार होये।
नाम खातिर बाय गोदाम
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