जिला बांदा। जिले के कुछ स्कूलों की रसोइयों ने बताया कि उनको जुलाई से नवंबर 2014 तक का वेतन नहीं मिला है। इसके अलावा अप्रैल और मई 2014 का भी वेतन बाकी है।
इन रसोइयों ने अपने अपने हेड मास्टर और आठ से दस स्कूलों के अध्यक्ष संकुल प्रभारी राजकुमार पटेल से भी शिकायत की है।
संकुल प्रभारी राजकुमार पटेल ने डी.एम. को दरखास देकर रसोइयों के वेतन की मांग की है।
ब्लाक नरैनी, गांव पड़मई। यहां के प्राथमिक विद्यालय में बिजनिया, मुन्नी, मोहनिया, पूर्व माध्यमिक की माया, सरोज, विद्या और कन्या पाठशाला में मइकी, संपत, दीपा खाना बनाती हैं। उन्होंने बताया कि महीने भर का वेतन एक हजार रुपए है। खाना बनाने में पूरा दिन लग जाता है इसलिए दूसरा काम भी नहीं कर सकते हैं। उसमें भी छह छह महीने तक वेतन न मिलना हमें भुखमरी की कगार पर ले आता है।
ब्लाक महुआ, गांव गोखिया। यहां के प्राथमिक विद्यालय की सोहनिया को भी जुलाई से नवंबर तक का वेतन अभी तक नहीं मिला है।
इसी तरह से तिंदवारी ब्लाक के गांव बरेठीकलां के स्कूलों में खाना बनाने वाली शांती देवी, रजुलिया, चिल्ला गांव के स्कूलों की रसोइयां सुखरानी, त्रिपाठी और कमला ने बताया कि वह कर्ज लेकर खर्च चला रही हैं।
ब्लाक बबेरू, गांव उमरी। यहां के प्राथमिक विद्यालय की रसोइयां राजरानी और नत्थी ने बताया कि वह लोग बगैर वेतन के बच्चों की पढ़ाई का खर्च नहीं चल पा रही है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी डाक्टर सत्यनारायण का कहना है कि अप्रैल, मई, जुलाई और अगस्त का वेतन का बजट आ गया है। 3 नवंबर को सभी रसोइयों के बैंक खाते में पैसा पड़ गया है। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने माना कि जिले के एक हजार तीन सौ बानवे प्राथमिक और छह सौ इकतालिस पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में कुल पांच हजार पांच सौ रसोइयों को कुछ महीनों से वेतन नहीं मिला है।