जिला बांदा, ब्लाक बड़ोखर खुर्द, गांव फतपुरवा। हेंया के राजकुमार का कहब है कि वा आपन गांव के विकास के कामन के सूचना 13 अक्टूबर 2011 मा सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगिस रहै। डी.एम, डी.आई.जी, बांदा उपभोक्ता फोरम, सूचना आयोग से लइके लखनऊ के बड़े अधिकारिन का दरखास दिहिस, पै सूचना नहीं मिली आय।
राजकुमार बतावत है-“हमार दलित बस्ती मा प्रधान भोला सिंह कउनौ विकास नहीं करावत आय। बस्ती मा नाली, खण्डजा निहाय। गरीबन का न शौचालय बनवावा गा, न कउनौ का कालोनी दीन गईं आय। यहै कारन से गांव मा आवा बजट अउर काम के सूचना मांगे हौं। चालिस दिन के बाद सचिव राम सिंह एक लिखित लेटर दिहिस रहै। वा लेटर मा रहै कि ढ़ाई हजार रूपिया जारी गांव के इलाहाबाद यू.पी. ग्रामीण बैंक के खाता संख्या 688 मा जमा कई दे, तबै सूचना मिली। मैं रूपिया नहीं जमा करेंव। काहे से अगर नियम के हिसाब से तीस दिन के भीतर मोहिका लिखित मिलत तौ मैं रूपिया जमा करतेंव। या दरखास का लइके मैं उपभोक्ता फोरम बांदा मा 24 जुलाई 2012 का मुकदमा लगा दीनेंव। हेंया मैं कइयौ दरकी तारीख मा गयेंव। हेंया से चिट्ठी गे कि या मामला का फैसला राज्य सूचना आयोग लखनऊ से होई। अब होंआ 9 जनवरी 2014 तारीख लाग है।”
बड़ोखर खुर्द ब्लाक के बी.डी.ओ. आर.डी. यादव कहिन कि राजकुमार के दरखास 3 अउर 18 सितंबर 2013 के तहसील दिवस मा भी आई रहै। दरखास के हिसाब से दूनौ दरकी जांच कीन गे है। दरखास मा लगाये गे आरोप सबै गलत अउर फर्जी पाये गे हैं।