लखनऊ। गन्ना किसान फिर ठगा गया। चुनाव नजदीक हैं। शायद यही कारण है कि चीनी मिल मालिकों की ही सुनी गई। सरकार ने गन्ने का दाम नहीं बढ़ाया। गन्ने की लागत तो बढ़ी पर इसका दाम नहीं बढ़ाया गया। किसान गन्ने की खेती में बढ़ते खर्चे के बोझ में दबे जा रहे हैं।
पिछले दो सालों में की तुलना करें तो इस बार फसल तैयार करने में किसान को प्रति कुंतल साड़े पच्चीस रुपए अधिक खर्च करना पड़ा है। यह किसान नहीं बल्कि सरकारी रिपोर्ट कहती है। गन्ना विशेषज्ञ डाक्टर डी.के. प्रसाद ने बताया कि इस वर्ष सूखा रहने और महंगाई बढ़ने से लागत में बढ़त हुई है। शाहजहांपुर गन्ना शोध संस्थान की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि इस साल दो रुपए सत्तर पैसे प्रति कुंतल लागत बढ़ी है।
गन्ना मूल्य नहीं बढ़ाने के अलावा गन्ना किसानों का बकाया भी चुकता करने के सरकार की तरफ से मिल मालिकों को कोई आदेश नहीं दिए गए हैं। चीनी मिलों पर किसानों का पिछले दो सालों का अट्ठारह सौ करोड़ रुपए से ज़्यादा बकाया है।
नहीं बढ़ा गन्ने का भाव
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