जिला बांदा। इस समय धान और गेहूं की फसल के लिए सिंचाई की ज़रूरत है। लेकिन कहीं नहरों की पटरियां टूटी होने से तो कहीं नलकूप को चलाने वाले ट्रांसफारमर खराब होने सिंचाई नहीं हो पा रही है।
ब्लाक महुआ, गांव शिवहद। यहां के जगरनिया, सुशीला, देवीदीन और पप्पू ने बताया कि अलिहा रजबहा नहर की नाली दो साल से टूटी है। दस-पन्द्रह बीघे धान की खेती में बरसात के समय से पानी भरा है। उधर गेहूं बोने के लिए खेत नहीं तैयार हो पा रहे हैं। भूमि संरक्षण विभाग के अनुरेखक भगवती प्रसाद ने बताया कि हमारा विभाग नई नहरें बनवाता है, पुरानी नहरों की मरम्मत की जि़म्मेदारी प्रधान की है। लेकिन प्रधान विष्णु दयाल की मानें तो विभाग की तरफ से उन्हें जि़म्मेदारी नहीं दी गई है।
ब्लाक नरैनी, गांव दिवली। यहां के किसान राजेन्द्र और राम स्वरूप ने बताया कि हमारे गांव से महुटा रजबहा नाम की नहर निकली है। इस नहर में बनी झाल टूटी है। पिछले दो सालों से धान की सिंचाई नहीं हो पाती है। साथ ही गेहूं की बुआई पिछड़ी जा रही है। किसानों ने सितम्बर 2013 में भी दरखास दी है। लेकिन महुटा रजबहा के जिलेदार का कहना है कि ऐसी सूचना विभाग को नहीं थी। सूचना मिली है तो उसे ठीक करवाया जाएगा।
ब्लाक बबेरू, गांव अधांव। औगासी नलकूप का ट्रांसफारमर एक महीने से खराब पड़ा है। इससे तेईस गावों के खेतों की सिंचाई होती है। गांव करहुली के किसान देशराज ने बताया कि ट्रांसफारमर फुंकने की दरखास 15 अक्टूबर 2013 को बबेरू एस.डी.एम. को दी है। बबेरू एस.डी.एम. आर.के. श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने ट्रांसफारमर को बनने के लिए आगरा भेजा है।
ब्लाक तिन्दवारी, गांव जौहरपुर। जौहरपुर के किसान राम बरन, अमन, और कल्लू ने बताया जौहरपुर पम्प कैनाल से निकलनी नहर तीन साल से टूटी है। इससे नहर का पानी खेतों में भर जाता है। धान की फसल सड़ रही है। गेहूं की बुआई का समय भी बीत रहा है। पम्प कैनाल के आपरेटर राजा के अनुसार जिस जगह नहर टूटी है, वहां पीपल का बहुत बड़ा पेड़ था। इसकी जड़े सड़ने से वह उखड़ गया। पक्की नहर टूटने के साथ नहर में गड्ढा हो गया। मिट्टी भरवाई जाती है, लेकिन हर साल बह जाती है। लघु डाल नहर विभाग के जेई प्रभुदयाल ने कहा कि नहर में काम ज़्यादा है। ठेकेदार को नवम्बर 2013 में ठेका दे दिया गया है।