मड़हा और तमसा नदियां नाला बन चुकी हैं। जानवर इनका पानी पीकर मर रहे हैं। मछलियां जि़्ान्दा बचती नहीं। लेकिन मिल अधिकारी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि नदी में मिल का गंदा पानी नहीं छोड़ा जाता। लोग झूठे हैं या प्रशासन। मगर गंदी नदियां लोगों की बात का समर्थन करती हैं।
जिला अम्बेडकर नगर, ब्लाक कटेहरी। यहां मड़हा और तमसा नदी चीनी मिल के धुएं और उससे निकलने वाले गंदे पानी से दूषित हो रही हैं। नदी में मछलियां मर रही हैं तो दूषित पानी पीने से जानवर भी बीमार हो रहे हैं।
अवधेश, बबलू, सतीश और मनोज कुमार ने बताया कि कटारीगंज गांव में इस मुद्दे पर गांव वालों ने बैठक की थी। हमने इसका विरोध भी जताया था। नदी किनारे करमपुर, बैजपुर सेमराघाट गांव बसे हैं। इस साल तो इन नदियों के कारण ज्यादा समस्या पैदा हो गई है। बरसात का मौसम आया भी नहीं है लेकिन तेज बारिस हो रही है। जिससे नदियों में पानी का स्तर खूब बढ़ा है। जानवर यहीं पानी पीते हैं। रोजाना जानवर बीमार पड़ रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर पानी शरीर में छू जाए तो खुजली होने लगती है।
जब चीनी मील प्रबन्धक सुधीर सिंह से बात की गई तो उन्होंने साफ कह दिया कि चीनी मिल से कोई गंदा पानी नहीं बह रहा है। हमने मानक के अनुसार फिल्टर लगा रखा है। फिल्टर किया पानी ही बाहर जाता है।
प्रदूषण नियत्रंण विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी राम गोपाल का कहना है कि चीनी मिल से दो तरह के प्रदूषण फैलते हैं। एक वायु प्रदुषण दूसरा जल प्रदूषण। लेकिन इसे रोकने के लिए चीनी मिलों में मशीन लगी है। हम बार बार जाकर जांच भी करते हैं। पिछले महीने अकबरपुर से एक आदमी ने शिकायत की थी। हमने डी.एम. के साथ बैठक भी की। लेकिन वहां पानी शुद्ध करने की मशीन चल रही थी। मगर फिर भी हम इस मामले की फिर से जांच करेंगे।