बुन्देलखंड के बांदा जिला का किसान या समय यूरिया खाद खातिर परेशान हैं। या समय किसान का गेहूं अउर चना के फसल मा यूरिया छिड़कै अउर का है। किसान सहकारी समिति मा यूरिया खाद लें खातिर चक्कर लगावत हैं अउर शाम के खाली हाथ लउट जात हैं।
आखिर सरकार किसान के समस्या का समाधान करैं मा काहे नाकाम साबित होत है? अगर किसान खुशहाल होई तौ आम जनता भी खुशहाल रही सकत है। यहै से सरकार का किसान के समस्या समय से पहिले निपटावैं के कोशिश करैं के जरूरत है। तबहिने किसान के समस्या खतम होई सकत है।
सरकार कहत है कि किसान के समस्या का खतम कीन जई, पै किसान के जइसे कउनौ परेशानी नहीं उठावत है। ज्यादतर किसान कर्जा लइके खाद अउर बीज खेतन मा बोवत हैं, पै उनका खाद अउर बीज का रूपिया भी नहीं निकर पावत। सहकारी समिति वाले यूरिया खाद समय से काहे नहींे बांटत है। सरकार कइती से समिति मा हजारन टन के हिसाब से यूरिया खाद आवत है। वा खाद कहां जात है?
ज्यादातर किसान के मुंह से सुनै का मिलत है कि सहकारी समिति के करमचारी ज्यादा दाम मा यूरिया खाद बेंच लेत हंै। यहै से किसान हमेशा खाद अउर बीज खातिर समिति के चक्कर लगावत हंै। यहिके जांच सरकार काहे नहीं करवावत है? का सरकार का भी किसान के समस्या का खतम करै के कउनौ चिंता नहीं रहत। वा समिति के जांच काहे नहीं करवावत आय?
नई निहाय खाद के समस्या
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