बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी का अनुमान है कि बीएचयू में टीचर्स की भर्ती के लिए यूजीसी की नई आरक्षण व्यवस्था लागू हुई तो अनुसूचित जाति(एससी) की सीटें 50 फीसदी, अनुसूचित जनजाति(एसटी) की सीटें 80 फीसदी और ओबीसी की सीटें 30 फीसदी तक घट जाएंगी।
एक अंग्रेजी अख़बार के अनुसार, विश्वविद्यालय प्रशासन ने जो आंकड़े जारी किए हैं उनके मुताबिक 12 मई, 2017 तक फैकल्टी के कुल 1,930 पद थे। पुरानी आरक्षण व्यवस्था लागू होती तो इसमें से एससी के लिए 289, एसटी के लिए 143 और ओबीसी के लिए 310 सीटें होतीं।
लेकिन यूजीसी के नए आरक्षण के अनुसार, यूनिवर्सिटी में एससी के लिए 119 सीटें, एसटी के लिए 29 सीटें और ओबीसी के लिए महज 220 सीटें आरक्षित होंगी।
दरअसल, पुरानी आरक्षण व्यवस्था में पूरे यूनिवर्सिटी को एक यूनिट माना जाता था, लेकिन नई व्यवस्था के अनुसार, अब किसी एक विभाग को एक अलग यूनिट के तौर पर देखा जाएगा। किसी विभाग को एक यूनिट मानकर आरक्षण देने का मतलब यह है कि जिन विभागों में एक या दो पोस्ट खाली है, उनमें इन जातियों को आरक्षण नहीं मिल पाएगा।
नए फॉर्मूले में जिन विभाग में किसी कैडर में दो या उससे अधिक लेकिन 15 से कम पोस्ट खाली हैं वहां भी केवल एक एससी को सीरियल नंबर 7 और केवल एक एसटी को सीरियल नंबर 14 पर आरक्षण मिल पाएगा।
इस तरह किसी विभाग में यदि सहायक प्रोफेसर के 6 से कम पद खाली हैं तो उनमें पिछड़ी जातियों को कोई आरक्षण नहीं मिल पाएगा। इनमें आरक्षण का लाभ दोबारा भर्ती के आधार पर मिलेगा, जिसमें वर्षों लग जाएंगे।