केरल। कला का कोई धर्म नहीं होता है, न हीं कोई जेंडर। भारत के राज्य केरल की कलामनदलम यूनिवर्सिटी में छात्र के.एम.अबू ने यह साबित कर दिया।
देश में पहली बार किसी मुस्लिम लड़के ने हिंदुओं के पारंपरिक और शास्त्रीय नृत्य मोहनीअट्टम में पी.एच.डी. की है। अबू इस विषय पर शोध करने वाले न केवल पहले मुस्लिम शोधकर्त्ता हैं बल्कि इस नृत्य को करने वाले पहले पुरुष भी हैं। अबू ने बताया कि मैंने बचपन में भरत नाट्यम सीखना शुरू किया। लेकिन कुछ सालों बाद ही मुझे लगा कि मोहनीअट्टम भारत नाट्यम से भी ज्यादा आकर्षक है।
अबू ने बताया कि मुस्लिम समुदाय से होने के कारण शुरू में मुझे लोगों का विरोध भी सहना पड़ा। लेकिन मेरा इरादा पक्का था। मेरा मानना है कि कला का कोई धर्म नहीं होता।
धर्म और जेंडर के दायरे से पार है कला
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