एक ऑनलाइन नारीवादी अंग्रेजी मीडिया प्लेटफार्म द लेडीज़ फिंगर ने खबर लहरिया के नए शो द कविता शो पर हाल ही में, कुछ इस तरह चर्चा की।
फर्जी खबरों और बड़े-बड़े एसी के कमरों में बैठ कर बिना वजह की राजनैतिक चर्चाओं को न्यूज़चैनलों पर सुन कर यदि आप थक चुकें हैं तो खबर लहरिया का नया शो ‘द कविता शो’ आपके लिए है।
देश का एकमात्र महिलाओं द्वारा चलाये जाने वाला डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क ‘खबर लहरिया’ गांवों की सच्ची कहानी कहता है और बुंदेलखंड जैसे पिछड़े राज्य की जमीनी हकीकतों से रूबरू कराता है। इसी श्रंखला में ‘द कविता शो’ एक नई पहल के साथ मुख्यधारा मीडिया के मिथकों को तोड़ता हुआ सामने आया है।
शो के पहले एपिसोड में खबर लहरिया की डिजिटल हेड कविता बुंदेलखंड की संस्कृति और वहां के रीतिरिवाजों से जुड़ी शादी–ब्याह की बात करती हैं। वह बताती हैं कि समय के साथ गांवों ने भी अपना परिदृश्य बदला है। गांवों ने भी जरूरतों के हिसाब से आधुनिकता को अपनाया है। इसके साथ ही एंटीरोमियो स्क्वाड, बूचड़खानों का बंद होना, योगी सरकार की मनमानी और इन सभी पर नजर रखते हुए महिला पत्रकारिता पर चर्चा की।
दूसरे एपिसोड में कविता ने बुंदेलखंड के व्यापारियों को ध्यान में रखते हुए जीएसटी पर बात की। योगा डे और महिला क्रिकेट पर भी बात की और कहा कि ‘मैं जमीनी मुद्दों पर ही बात करती हूँ और मेरे मुद्दे यही हैं’।
तीसरे एपिसोड में कविता भारत की राजधानी दिल्ली के बारे में बात करती दिखाई दीं। उन्होंने कहा, ‘दिल्ली आने के बाद मैंने देखा कि दिल्ली और बुंदेलखंड कई मायनों में एक जैसा ही है। यहाँ का मौसम, गर्मी और यहाँ की उमस बिल्कुल बुंदेलखंड जैसी है’।
वह आगे कहती हैं, दिल्ली में भी एक तरह की घुटन मैंने महसूस की है जो कुछ विशेष समुदाय और उनसे जुड़े भेदभाव और हिंसा की घुटन है।
दिल्ली आ कर उन्होंने भीड़ द्वारा हिंसा के विरोध में जंतर–मंतर पर हो रहे प्रदर्शन में भगीदारी की और बताया कि कैसे योगी आदित्यनाथ ने दलितों के लिए साबुन भेजे। वह कहती हैं, ‘यह किस तरह की सोच है?’ यही नहीं, उन्होंने व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर नफरत भरी अफवाहें उड़ाने और फर्जी खबरें चलाने पर भी बात की।
इसके साथ ही उन्होंने ‘आदर्श ग्राम योजना के तहत सांसदों द्वारा गांवों को गोद लिए जाने पर बात की। इस दौरान एक व्यक्ति ने बात करते हुए यहाँ तक कहाँ कि सांसद आये तो हम उसको पकड़–पकड़ के मारे, आखिर तुम हो क्या चीज़?
सरकार के कार्यों में सिर्फ बातें हैं और कुछ नहीं और इन कमियों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। कविता शो मुख्यधारा मीडिया से अलग आम जनता की, किसानों की और पिछड़े समुदायों की बात करता है और मुख्यधारा मीडिया को सच्चाई का आईना दिखाना चाहता है।
साभार: द लेडीज़ फिंगर