हिन्दू-मुस्लिम के झगड़ों के बीच एक मिसाल मलिन बस्ती में रहने वाली पूजा हैं। जो मन्दिर में बुलाकर मुस्लिम और हिन्दू बच्चों को उर्दू और हिंदी सिखाती हैँ।
आगरा के भगवान टाकीज के पास कृपाल कॉलोनी मलिन बस्ती में हिन्दू- मुस्लिम की मिश्रित आबादी है। यहां की रहने वाली पूजा को अलग-अलग हुनर सीखने का शौक था। पूजा ने अभी इंटर किया है। पूजा की मां रानी कई काम कर लेती हैं और यही शिक्षा उन्होंने बच्चों को भी दी है।
मोहल्ले में सभी गरीब हैं, इस कारण मोहल्ले के लोग बच्चों को उच्च शिक्षा नहीं दे पाते थे। उर्दू और कुरान समझने के बाद जब पूजा ने मोहल्ले के मुस्लिमों की हालत देखी तो उसे लगा कि पढ़ाई को व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। उसने गरीब मुस्लिम बच्चों को पढ़ाने का निर्णय लिया और उसने अपनी मां रानी से बच्चों को पढ़ाने की इच्छा जताई। बेटी की इस इच्छा को जानकर मां रानी तुरंत राजी हो गई। उसके बाद कभी घर तो कभी गली में बच्चों की पढ़ाई होना शुरू हो गई।
जब बच्चों की संख्या 35 से ज्यादा हो गई तो जगह की दिक्कत होने लगी। मोहल्ले के बजरंगबली मंदिर में काफी खाली जगह थी। मंदिर पर दबंगो की नजर रहती थी और दिनभर लोग जुआ और शराब पीते रहते थे। ऐसे में मोहल्ले के लोगों ने एकमत होकर मोहल्ले के बजरंगबली मंदिर में बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत कराई।
पूजा का विचार है कि छात्र चाहे हिन्दू हो या मुस्लिम उसे शिक्षा का ज्ञान मिलना जरुरी है और पढ़ाई में जाति धर्म नहीं होना चाहिए। शिक्षक ही समाज का सुधारक होता है।