राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक, गृह मामलों के राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहिर ने सदन में एक रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि साल 2014 में धर्म, वंश, जन्म के स्थान के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने वाले धार्मिक और नस्लीय घृणा के अपराधों से संबंधित 336 मामले दर्ज किए गए, जो वर्ष 2016 में बढ़कर 475 हो गए हैं। साल 2014 से लेकर 2016 के बीच इन अपराधों का ग्राफ 41% से भी आगे पहुंच गया है।
सूत्रों के अनुसार, राज्य मंत्री ने बताया कि साल 2014 से 2016 के दौरान राज्यों में धार्मिक और नस्लीय घृणा के अपराधों में 49% की वृद्धि दर्ज की गई। 2014 में राज्यों से 318 मामले सामने आए, जो 2016 में बढ़कर 474 हो गए। वहीं, जबकि दिल्ली सहित केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसी घटनाओं का ग्राफ 18 से गिरकर साल 2016 में एक पर आ पहुंचा।
राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम ने बताया कि उत्तर प्रदेश में पिछले तीन वर्षों में इस तरह की घटनाओं में 346% की बढ़ोतरी हुई है, जो 2014 में 26 से बढ़कर 2016 में 116 हो गई है।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में साल 2014 में चार ऐसे मामलों की सूचना मिली थी, जो 2016 में 450% बढ़कर 22 हो गया। पश्चिम बंगाल में 2014 में 20 ऐसे मामलों की रिपोर्ट सामने आई थी, जो 2016 में बढ़कर 53 हो गया। जिसके बाद इस दौरान ऐसे मामलों में 165% बढ़ोतरी दर्ज की गई।
वहीं, 2014 और 2016 के बीच, मध्य प्रदेश में ऐसे मामलों में 5 से 26 और हरियाणा में 3 से 16 की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिनमें क्रमशः 420 और 433% की वृद्धि देखी गई है।
बिहार में 2014 में ऐसी किसी तरह की घटना की कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई, लेकिन 2016 में ऐसी 8 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिनमें 800% की बढ़ोतरी देखी गई है।